क्या हमारे देश लोकतंत्र है , राजशाही में राजा के हाथ में राज दंड होता था जो राजा के हाथों में शक्ति का प्रतीक होता था ? लेकिन लोकतंत्र में राज्य का राजकाज संविधान के अनुसार चलता है और हमारे देश में भी चलना चाहिए ? लेकिन होता क्या है अब जब से बीजेपी का शासन है तभी से राज की शक्ति पार्टी और सहायक संघटनो के हाथ आ गया है और ये लोग भीड़ का हिस्सा बनकर जब चाहे जैसा चाहे कर गुजरते है , लोगोको पीट पीट कर मार् देना फैशन बन गया है ?
आज की खबर के अनुसार झारखंड के राम गढ़ में गौ मांस के ट्रांसपोर्ट करने के आरोप में एक व्यक्ति को पीट पीट कर मार डाला गया और उधर गुजरात में ठीक उसी समय मोदी जी साबरमती आश्रम गौ रक्षको के तांडव पर रो रहे थे । आखिर यह शोध का विषय है जब जब मोदी गौरक्षकों के कुकर्म पर रोते है ठीक उसके बाद गौ रक्षकों का तांडव बढ़ जाता है ? ऐसा क्यों होता है आखिर बीजेपी शासित राज्यों में ही गौ रक्षको को इतनी छूट क्यों मिलती है ? क्योंकि जब मोदी जी जैसा कोमल हृदय व्यक्ति ,का गुजरात नरसंहार पर एक भी आंसू नहीं निकलना एक रहस्य ही रहेगा लेकिन वही मोदी जी किसी भी दलित और मुस्लिम की हत्या पर सार्वजनिक मंचो पर आंसुओं के साथ रोते है ? तो क्या यह राज सत्ता के लिए ( इमोशनल ) भावनात्मक ड्रामा है ? इसलिए हम समझते है इस बकवास का कोई स्थान नहीं है क्योंकि कल ही देश में आक्रोश का एक रूप ” NOT IN MY NAME” कैम्पेन में देखने को मिला !
एस पी सिंह , मेरठ ।