आतंकवादियों का शिकार हुए लोगों को कथा में दी श्रद्धांजलि

पैसे से औलाद मिल जाये पर पुत्र कहाँ से लाओगे
aaaaअजमेर। कथा मर्मज्ञ रामदेवरा के संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि कक रामदेव इस करने के लिए ही आये हैं, क्योंकि आज के युग मे मानव ही मानव से ही दुखी है। उन्ही पीड़ित मानव को दिलासा और राहत देने के लिए बाबा ने अवतार लिया। बाबा रामदेव ने जिसका भी कष्ट मिटाया, वही बाबा का प्रचारक और बाबा का गुणगान करने लगा। बाबा रामदेव ने जब राजस्थान में अवतार लिया तब धर्म का पतन हो रहा था। पूरा राजस्थान जाती-पाती से त्रस्त था। इसी छुआछूत के ज़हर को समाज से मिटाने के लिए बाबा ने अवतार लिया।
गत रात्रि को अमरनाथ यात्रा पर हुए आतंकी हमले पर मूल योगिराज ने आक्रोश व्यक्त किया और आज की कथा आतंकी हमले मे मरे गए श्रद्धालुओं को दो मिनट का मौन रखने के बाद आरम्भ की।
आजाद पार्क में चल रही रूणिचा वाले बाबा रामदेव की कथा के तृतीय दिवस मंगलवार को कथा के दौरान संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि दौलत से काफी कुछ मिल सकता है, पर सब कुछ दौलत से हासिल नहीं हो सकता। सब कुछ लिए तो ईश्वर का गुणगान करना ही होगा। सुख पैसे से मिल जाये, पर शांति तो प्रभु के शरणागत होने से ही मिलती है। पैसे से औलाद मिल जाये पर पुत्र कहाँ से लाओगे। हम भगवान को जो भी अर्पित करते हैं, उसका प्रतिफल अवश्य ही प्राप्त होता है। मानव शरीर में ही दान-पुण्य किया जा सकता है। संत कभी दौलत नहीं चाहते। उन्हें केवल भक्तों के भाव की आवश्यकता होती है। श्री हरी को कोई भी कार्य करने के लिए कोई माध्यम चाहिए, इसीलिए राजस्थान मे बढ़ रहे भेदभाव को मिटने के लिए अजमल जी को माध्यम बनाया।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने बताया कि जिसके हृदय मे लगन होती हैं, वहीँ प्रभु प्रकट हो जाते हैं। बिना शक्ति और पौरुषता के पुरुष अकेला है।
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने कहा कि मानव ही मानव के काम आता है। पशु कभी पशु के काम नहीं आता। हाथ से दिया गया दान ही ऐसा दान है जो इस लोक मे भी काम आता है और परलोक मे भी काम आता है। मनुष्य अपने कर्म से ही मानव देव और राक्षस बनता है। कर्म से ही मानव को पूछ होती है। अच्छा कर्म करने वाले को लोग सदा सर्वदा याद करते है। कर्म ही पूजनीय बनाता वही पतन करवा। एक छोटी सी भूल इंसान को पाताल मे गिरा देती है।
ऐसे हुआ बाबा का अवतार –
संत स्वामी श्री मूल योगीराज ने बाबा रामदेव के अवतार लेने का भावपूर्ण चित्रण किया। भाद्रपद दूज के दिन गौधूलि वेला में हवा मे एक अजीब खुशबू पैदा हो गयी। ग्वाले दूध निकाल रहे थे। उसी समय एक अजीब ध्वनि प्रकट हुई कि हे राजा अजमल तुम धन्य हो। एक दिव्य प्रकाश पुंज प्रकट हुआ। सबकी आँखें बंद हो गयी। द्वारिकाधीश ने शिशु रूप बना कर पलने मे अवतार लिया। अंतरिक्ष से देवताओं ने पुष्पवर्षा की। पालना स्वर्ण का बन चुका था। रानी मैणादे ने जब राजा अजमल जी को बताया तो राजा ने कहा कि श्री हरी उनके यहाँ प्रकट हो चुके हैं। बाबा ने अवतार लेते ही रानी मैणादे को चमत्कार दिखाया। उस काल का साक्षी उत्तरा नक्षत्र स्वयं प्रकट हो गया और बाबा के अवतार के बारे में बताया।
कथा के मध्य में साध्वी शशि गौतम दीदी जी ने अपने सुमधुर स्वरों में हे नाथ, दीनदयाल दया अब तो कीजिये, एक तो टाबरिया म्हारा जन्म सूं जनमियो, म्हारी हुण्डी स्वीकारो महाराज रे सांवरा गिरधारी, सहित अनेक भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मज़बूर कर दिया।
कथा आयोजक संस्था बाबा श्री रामदेव कथा समिति की प्रमुख कार्यकर्ता और नारीशाला की चेयरमेन भारती श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार की कथा में कपड़े के घोड़े का आकाश में उड़ना, जंगल वृक्ष डाल पर डालीबाई का मिलना, वीरमदेव का जन्मोत्सव, किसानो द्वारा नगर त्याग करने की फरियाद करना, जान खेलने जाना, बालीनाथ मिलान, भैरव का करना, राजतिलक और आरती आदि प्रसंगों का वर्णन किया गया। बुधवार की कथा मे गढ़ अमरकोट से राजा दलपत सोडा का देवी से वरदान लेना, देवी नैतल का जन्म होना, अंधी, कुष्टी होने के कारन राजा दलपत का दुखी होना तथा देवी का राजा दलपत को आशीर्वाद देना आदि प्रसंगों का वर्णन किया जायेगा।
पार्षद एवं बाबा के परम भक्त पार्षद कुंदन वैष्णव, सत्यनारायण भंसाली, के विशेष सहयोग से की जा रही मंगलवार की कथा मे नारीशाला की चेयरमेन भारती श्रीवास्तव, स्वामी समूह के चेयरमेन कँवल प्रकाश किशनानी, उमेश गर्ग, जीतेन्द्र धारू, महेन्द्र मारू, अमरसिंह भाटी, सुमित खंडेलवाल, राजेश श्रीवास्तव आदि विशेष रूप से पूजा और आरती मे उपस्थित थे।

(महेन्द्र मारू)
मे. 9829795054

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