हजार गरीब मिलकर भी कभी गरीबी दूर नहीं कर सकते

आदर्श पाठशाला महाअधिवेशन आज से, भारत वर्ष से करीब 2000 छात्र-अध्यापक आएंगे
sudha sagarमदनगंज-किशनगढ़। मुनि पुंगव सुधासागर महाराज ने आर.के. कम्यूनिटी सेन्टर में अपने प्रवचन में कहा कि जब व्यक्ति के जीवन में बहुत सारी परेशानियां आ जाती है और वो अपने आप को अकेला महसूस करता है। ऐसे में उसे कोई सराहा मिल जाए तो वह अपना दु:ख भी भूलने को तैयार हो जाता है। किन्तु सराहा देने वाला वह चाहिए जो स्वयं दु:खी न हो। आज दु:खी और दु:खी के मैजोरिटी बन रही है। एक दु:खी रो रहा है तो दूसरा भी आकर रोने का बैठ जाता है। तीसरे ने देखा तो वो भी जाकर रोने बैठ जाता है कि भैया मैं भी दु:खी हँू। पता चला कुछ देर में सारे रोने वाले पहुंच गए। ये हमारा बहुत बड़ा वीक पॉइंट है। डाकू डाकू की संगति करना चाह रहा है, शराबी शराबी को खोजता है। पापी पापी को खोज रहा है। ऐसे में हमारा विकास हो ही नहीं सकता। हजार गरीब मिल कर कभी गरीबी दूर कर ही नहीं सकते है। हम उसके सामने जाकर भीख मांगते है जो खुद भीखारी है। हम उससे रास्ता पूछते है जो स्वयं भटका हुआ है। कैसे समस्या का समाधान होगा ? जो दुर्गुण आपने में है यदि वहीं सामने वाले के पास है। तब आपके मन में उससे मित्रता करने का भाव आ रहा है या उससे दूर भागने का भाव आ रहा है। अगर मित्रता का भाव आ गया तो समझ लेना कि तुम्हारे मिटने का समय आ गया है। इसलिए हमें उसको खोजना है जो हमसे अधिक समर्थवान है। तभी हमारी परेशानी दूर हो सकेगी।

जीवन जल की रेखा के समान है
इससे पूर्व मुनि महासागर महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि हमें जीवन निर्वाह से जीवन निर्माण की ओर आगे बढऩा है। आचार्यो ने जीवन को जल की रेखा के समान कहा है। जिस प्रकार जल की रेखा को आप खींचते जाएंगे और वो पीछे से मिटती जाएगी। यानि वह कभी भी स्थाई नहीं रहती। आचार्यों ने कहा कि आप जीवन जी नहीं रहे हो बल्कि आप मरण की ओर आगे बढ़ रहे हो। इस सत्य को आप जान नहीं पा रहे हो। जीवन निर्माण तभी होगा जब हम जीवन के सत्य को जानेंगे। मुनिश्री ने कहा कि हर व्यक्ति जीवन में सुख की प्राप्ति करना चाहता है। संसार की आपाधापी दौड़ धूप हम सुख की प्राप्ति के लिए ही करते है। जिन पदार्थों के संग्रह में आप अपना जीवन व्यतित कर रहे हो इनसे कभी सुख की प्राप्ति नहीं होती है। अगर इनमें ही सुख होता तो हमारे तीर्थंकर अपने वैभव को छोड़कर वन की ओर न जाते ना ही संसार को त्यागते। मुनिश्री ने कहा कि विषय कसाय की चकाचौंद में हम अपने आत्म तत्व को भूल गए है।

आदर्श पाठशाला दो महाअधिवेशन आज सेे
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार दो दिवसीय आदर्श पाठशाला महाअधिवेशन का शुभारम्भ गुरूवार से होगा। जिसकी शुरूआत 7.30 बजे मंगचारण, मंगलकलश स्थापना, दीपक स्थापना, अनुयोग स्थापना, मुनिसंघ को शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, चित्र अनावरण, पाठशाला अधिवेशन की रूपरेखा एवं उद्घाटन व मुनिश्री के आशिवर्चन से होगी। दिनभर चलने वाले कार्यक्रम के बाद रात्रि 8 बजे सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इसमें भारतवर्षीय पाठशालाओं के करीब 2000 छात्र व अध्यापक शिरकत करेंगे।

ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री दिगम्बर जैन धर्म प्रभावना समिति के मीडिया प्रभारी विकास छाबड़ा के अनुसार प्रात: अभिषेक एवं शांतिधारा, चित्र अनावरण, दीप प्रज्जवलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन, सायंकालीन आरती एवं वात्सल्य भोज पुण्यार्जक का सौभाग्य प्रदीपकुमार पीयूष कुमार सौरभकुमार गंगवाल (आसाम वाले) परिवार को मिला।

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