राजमाता सिंधिया नगर आवासीय योजना का नामकरण असंवैधानिक

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 8 अक्टूबर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा अपनी अजमेर यात्रा के दौरान एडीए की राजमाता सिंधिया नगर आवासीय योजना को हरी झंडी देने पर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि राजमाता सिंधिया नगर आवासीय योजना का नामकरण असंवैधानिक है देष की सर्वोच्च अदालत ने ऐसी उपाधियों के उपयोग पर रोक लगा रखी हे जिनसे सामंतवाद छलकता हो।
कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन के हवाले से जारी बयान में प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि एडीए ने माकड़वाली में पृथ्वीराज नगर से लगती हुई आवासीय योजना बनाई है, इसका नामकरण राजमाता सिंधिया आवासीय योजना किया गया है। करीब 130 बीघा में बनाई जा रही इस आवासीय योजना में 16 बीघा चरागाह भूमि थी जिस कारण नियम विरूद्ध इस योजना को अमली जामा नही पहनाया जा सका था। नगरीय विकास विभाग ने राजस्व विभाग से अनापत्ति के आधार पर एडीए को हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद राजस्व विभाग के सचिव ने भी इस योजना में रही 16 बीघा चरागाह जमीन के एवज में अन्य जगह भूमि देने के आदेश दे दिए। योजना के क्रियान्यवयन में राज्य सरकार की मंजूरी मिलनी बाकी रह गई थी। अब आनन फानन में मुख्यमंत्री राजे ने अपनी अजमेर यात्रा के दौरान इसकी मंजूरी दे दी है।
कांग्रेस ने आपत्ति की कि राजमाता उपाधी का प्रयोग स्वतंत्र भारत मे असंवैधानिक एवं नियम विरूद्ध है तथा सामंतवादी सोच का प्रतीक होते हुऐ राजषाही का परिचायक है। भारतीय संविधान के 26 वें संविधान संषोधन 1971 के द्वारा अनुच्छेद 363-ए में रचित किया गया था जिसके अनुसार पूर्ववर्ति महाराजा, राजाओं इत्यादी सामंती शासकों के प्रति पद की समाप्ति के साथ ही राजा, महाराजा, राजकुमार, राजकुमारी इत्यादी उपाधियां को समाप्त कर दिया गया था इस प्रकार संविधान के अनुच्छेद 18 (1) में इस प्रकार की उपाधियों के प्रयोग पर रोक है।
इसके अलावा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष भी ऐसे सामंती उपाधियों के उपयोग करने के लियेे कई मामले आऐ जिन्हे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया तथा संविधान के 26 वें संषोधन को ही सही माना है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आजाद भारत में जन साधारण के लिये आवासीय योजनाओं में सामंती नामकरण भाजपा की सामंती सोच का जीता जागता उदाहरण है।
कांग्रेस का कहना है कि यदि सरकार या एडीए किसी ऐसी योजना का नामकरण असंवैधानिक एवं नियम विरूद्ध करता है तो यह देष के कानून और संविधान का उलंघन होगा एडीए चैयरमैन को ऐसे किसी भी कार्य से बचना चाहिये जो संवैधानिक परम्पराओं और कानून के खिलाफ हो।

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