दण्ड विधियां राजस्थान संशोधन अध्यादेश, 2017 काला कानून

विजय जैन
विजय जैन
अजमेर 23 अक्टूबर। कांग्रेस ने राज्य की भाजपा सरकार द्वारा लाये जा रहे दण्ड विधियां राजस्थान संशोधन अध्यादेश, 2017 के विरोध विरोध करते हुऐ इसे काले कानून की संज्ञा दी है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ऐसा काला कानून बना रही है जिससे घूसखोर कार्मिकों के हौैंसलेें बुलंद होंगें राज्य में हर स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला होगा और कोई उसके खिलाफ आवाज उठा सकेगा।
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विजय जैन के हवाले से प्रवक्ता मुजफ्फर भारती ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पद संभालने के दौरान सार्वजनिक रुप से कहा था कि न खाऊंगा और न ही किसी को खाने दूंगा। लेकिन उनके ही दल की राजस्थान सरकार ने ऐसा काला कानून बना दिया है जिससे जनता के नुमाईंदे खाने वालों के नाम ही उजागर नहीं कर सकेंगे। सरकार ने अध्यादेश के तहत अब अगर कोई कार्मिक घूस लेते गिरफ्तार हो गया तो बिना अभियोजन स्वीकृति के उसका नाम सार्वजनिक नहीं हो सकेगा। ऐसे में घूसखोर कार्मिकों के हौैंसलेें बुलंद होंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने इसे प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने वाला बताया है, मीडिया ही भ्रष्ट अफसरों के भ्रष्टाचार का खुलासा करती है, लेकिन इस अध्यादेश के बाद मीडिया भी भ्रष्ट अफसरों की सूचना सार्वजनिक नहीं कर पाएगी। यह अध्यादेश सिर्फ भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देता है, बल्कि मीडिया के अधिकारों पर प्रतिबंध लगाने जैसा है। राज्य सरकार ने अध्यादेष में दंड प्रक्रिया संहिता में इसके लिए संशोधन कर दिया है। इसका फायदा न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट एवं लोकसेवक को मिलेगा।
कांग्रेस का आरोप है कि राजस्थान सरकार ने आखिर ऐसे कितने घोटाले कर डाले हैं, जिनकी वजह से नेताओं, अफसरों और जजों के खिलाफ खबरें रोकने के लिए बिल लाना पड़ रहा है। यह अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। कानून में संषोधन लाकर सरकार ने अपने भ्रष्ट कार्मिकों को बचाने का काम कर दिया है। ऐसे में कार्मिकों के हौैंसले बुलंद हो जाएंगे। सरकार ने कानून में भ्रष्टाचार को आम बनाने के लिये ऐसा प्रावधान किया है कि अगर कोई विभाग 180 दिन तक अभियोजन स्वीकृति जारी नहीं करता है तो स्वतः ही उसे अभियोजन स्वीकृति मान ली जाएगी। तब तक घूसखोर कार्मिक कई तरह के हथकंडे अपना कर अभियोजन स्वीकृति जारी ही नहीं होने देगा इससे दोहरा भ्रष्टाचार होगा।
जैन कहा कि अगर भ्रष्टाचारी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ स्वीकृति के बिना मीडिया में नाम प्रकाशित नहीं होगा तो उनका डर निकल जाएगा। जबकि इस समय ऐसे कार्मिकों का नाम प्रकाशित होने पर उन्हें समाज में बदनामी होने का भय बना रहता है। सरकार के इस कदम से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। दागी और भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने हेतु दंड प्रकिया संहिता 1973 की धारा 156 एवं 190 में एवं आईपीसी में आमूलचूल संशोधन कर दिए गए हैं जो जनता के साथ बड़ा धोखा एवं छलावा है। इस प्रकार का अध्यादेश जारी कर सरकार कार्मिकों की चहेती बनने का प्रयास कर रही है लेकिन जनता में इस काले कानून के प्रति गहरा आक्रोश है।

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