गाय सेवा ही गोविन्द सेवा:श्री पुष्करदास जी महाराज

भागवत कथा कलियुग में मानव मात्र को तारने वाली:श्याम शरण देवाचार्य जी
श्याम सेवक कल्याण संघ द्वारा संत श्री पुष्करदास जी महाराज का अभिनंदन
श्री पुष्कर गौ आदि पशुशाला द्वारा लोहागल रोड स्थित गौशाला में नरसी मेहता और नानी बाई का मायरा कथा
जहां स्त्री का सम्मान होता है वहां देवता रमण
प्राकृतिक आपदा की पहली सूचना गाय को मिलती है
माँ को नमन करने में शर्म नहीं बल्कि गर्व की बात

4अजमेर। श्री पुष्कर गौ आदि पशुशाला समिती की ओर से लोहागल रोड स्थित गौशाला में चल रही भक्त नरसी मेहता और नानी बाई का मायरा कथा के तृतीय दिवस मंगलवार को सुविख्यात संत एवं कथावाचक श्री पुष्करदास जी महाराज ने कथा के दौरान कहा कि शास्त्रों मे कहा गया है कि जहां स्त्री का सम्मान होता है वहां सभी देवता रमण करते हैं। जहां उनका अनादर होता है, वहां दरिद्रता आती है। इसलिए पत्नी को गृहलक्ष्मी कहकर पुकारा जाता है। उन्होंने कहा कि स्त्री के कन्या, पत्नी एवं माता के तीन रूप होते हैं। जिस घर में स्त्री का सम्मान नहीं होता,उस घर से लक्ष्मी चली जाती है। जहां बहु-बेटियों के आसूं निकलते है,वहां दरिद्रता आ जाती है और बरकत चली जाती है। जहां स्त्री का सम्मान होता है,वहां देवती भी निवास करते है। उन्होंने आगे कहा कि जीवन में हम सभी को अपने माता-पिता का सम्मान व उनकी सेवा करनी चाहिए। स्त्री के लिए पति व पुत्र के लिए माता-पिता तीर्थ के समान है।
कथा के विशिष्ठ अतिथि नृसिंह मंदिर के महंत श्याम शरण देवाचार्य जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भागवत एक ऐसा ग्रंथ है, जिसकी तुलना किसी अन्य से नहीं की जा सकती। भागवत कथा कलियुग में मानव मात्र को तारने वाली है। आज की पीढ़ी जो अपने माता-पिता से दूर होती जा रही है, उसे भविष्य में अपने सुख की कल्पना छोड़ देनी चाहिए। माता-पिता और गुरु की सेवा कभी व्यर्थ नहीं जाती। जीवन में सभी दुःखों का एकमात्र कारण पितृ ऋण का चुकारा ना करना है। अपने माता-पिता की सेवा कर पितृ ऋण से उऋण हुआ जा सकता है। हमारा वही दिन सफल है, जिस दिन हमने सत्संग किया।
कथा आयोजन समिति के लक्ष्मी नारायण हटूका ने बताया कि संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि भगवान कृष्ण ने गौ रक्षा का संदेश दिया है। भगवान श्री कृष्ण ने गाय सेवा कर विश्व के मानव समाज को संदेश दिया कि गाय सेवा ही गोविन्द सेवा है भगवान श्री कृष्ण ने गाय सेवा करके शुद्धि, पर्वत संरक्षण व पर्यावरण की रक्षा की। प्राकृतिक आपदा की पहली सूचना गाय को मिलती है। भूकंप के समय गाय रम्भाना और भागना आरम्भ कर देती है। दूध पिलाने वाली की माँ का दर्जा दिया जाता है। यहां तक कि श्री कृष्ण ने पूतना तक को माँ का दर्जा दिया था क्यूंकि पूतना ने कृष्ण को दूध पिलाया था।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि आज लोगों को वन्देमातरम कहने तक में शर्म आती है। अपनी माँ को नमन करने में शर्म नहीं बल्कि गर्व की बात होती है। गौ के साथ यह भूमि भी हमारी माँ है। कथाओं का मूल उद्देश्य मानव को मानव से जोड़ना है। मानवों में प्रेम बढ़ाने, मातृभूमि और जीव मात्र के लिए प्रेम की भावना का प्रसार करने पर ही कथा की सफलता है। विभिन्न धर्मों के महापुरुषों की अच्छी बातों को जनमानस तक पहुंचाना कथा-व्यास का प्रमुख कर्तव्य है। जहां प्रसन्नता है, वहीं परमात्मा का वास है। सत्संग का मूल उद्देश्य प्रसन्नता का प्रसार करना ही है।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि तन साफ़ होने पर दुनिया वाले नज़दीक आते हैं, जबकि मन की सफाई होने पर परमात्मा मानव के करीब आते हैं। हम घर और आसपास की सफाई की बात तो कर लेते हैं, लेकिन आत्मा और मन की सफाई कैसे होगी, इस पर हमारा ध्यान कम ही जाता है। आत्मा और मन की सफाई के लिए ज्ञान स्नान की जरूरत है। बिना ज्ञान स्नान के कभी भी आत्मा और मन की सफाई नहीं हो सकती है। ज्ञान स्नान का मतलब केवल वेद, ग्रंथ, धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों का पढ़ लेना नहीं है, बल्कि उसे जीवन में अभ्यास कर उतारने की जरूरत है। हर वक्त अपने मन में संकल्पों पर पहरा देना पड़ेगा, ज्ञान रूपी झाड़ू लगा कर सफाई करनी पड़ेगी, तब जा कर इसकी धीरे-धीरे सफाई होने लगेगी। जैसे-जैसे मन की सफाई होगी, आत्मा में निखार आयेगा और मन स्वस्थ, खुश और शक्तिशाली होता जायेगा।
संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने कहा कि वृन्दावन वही जाते हैं जो कभी किसी पूर्व जन्म में भगवान की लीला से किसी प्रकार से जुड़ा रहा होगा। श्री कृष्ण का नाम वही लेता है जो कभी किसी जन्म में श्री कृष्ण से जुड़ा रहा हो। सत्संग में वही जा सकता है जिससे कभी हरि का कोई सम्बन्ध रहा हो। सत्संग में बैठे और भजन करने से आदमी तनाव से मुक्त होता है। यदि कोई भी भगवान की भक्ति का कोई कार्य करता है तो वह भगवान् को प्रिय हो जाता है।
मंगलवार को कथा के दौरान श्री श्याम सेवक कल्याण संघ द्वारा संत श्री पुष्करदास जी महाराज का अभिनंदन किया गया। संघ के अध्यक्ष राकेश डीडवानिया, सचिव भागचंद बहती, शयम बिहारी शर्मा, महेश चंद्र शर्मा आदि ने संत श्री पुष्करदास जी महाराज का माल्यार्पण कर और शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया।
कथा के दौरान संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने साज की मधुर धुन पर गोपाल नाम संकीर्तन के पश्चात तुम शरणाई आयो रे ठाकुर, म्हारा जनम-मरण का साथी थाने नहीं बिसरूं दिन-राति सुबह-शाम बोल बंदे कृष्णा, कृष्णा, कृष्णा, सर रख के हथेली पे आ जाओ हसरत है जिन्हे कुछ पाने की, आदि भजन भी प्रस्तुत किये जिस पर कथा प्रांगण मे उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। सोमवार को मुंबई निवासी शिवराज गोयल द्वारा दो ट्रॉली हरा चारा गौशाला की गायों को खिलाया गया।
सोमवार की कथा का शुभारम्भ ग्रन्थ पूजन से हुआ। कथा आयोजन समिति के सदस्यों ओमप्रकाश मंगल, अशोक तोषनीवाल, बनिगोपाल गनेड़ीवाल, श्याम बंसल, गोकुल अग्रवाल, सूरजमल गोयल, विष्णुप्रकाश गर्ग, कमल बंसल, पंकज खंडेलवाल, दिनेश परनामी, श्रीकृष्ण चाँद तड़ी, चंद्रप्रकाश शर्मा एडवोकेट और रवि बंसल ने कथा पूजन किया और संत श्री पुष्करदास जी महाराज ने का चरणवन्दन किया। मंच संचालन उमेश गर्ग ने किया।

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