करन्ट से झुलसी किशोरी को किया नसीराबाद रेफर

sarwar samacharसरवाड़-अजमेर
करन्ट से झुलसी किशोरी। लाली पुत्री भवर लाल बागरिया निवासी गोरधनपुरा आयु 18 वर्ष पिने।के लिए पानी लेने गयी हुयी थी भीड़ को देख खम्बे के लगे साईड तार को पकड़ लेने से आया कंरट। किशोरी को झुलसता देख ग्रामीणों ने किशोरी को लकड़ी से मारकर करन्ट से छुड़वाया और निजी वाहन से सरवाड़ अस्पताल पहुचाया जिसे प्रथमिक उपचार के बाद नसीराबाद किया रेफर।
108 पीएमटी नफीस टाक ने बताया की करन्ट से झुलसी युवती को नसीराबाद अस्पताल के बहार उतारने पर युवती चलने फिरने लगी ओर घुमने लगी। जिससे ऐसा प्रतीत होता है युवती के हल्का फुल्का करन्ट आया था और किशोरी की हालात सीरियस नही थी।
लेकिन अक्सर देखा गया है की सरवाड़ अस्पताल द्वारा मरीज की हालत सीरियस नही होने पर भी मरीज को अजमेर,नसीराबाद या फिर केकड़ी रेफर कर दिया जाता है। जिससे मरीज व उसके परिजनों के साथ साथ 108 का चालक का भी समय बर्बाद होता है। साधरण केश को भी अजमेर रेफर करते है क्यों की मरीज या घायल व्यक्ति अगर माली,देशवाली,या फिर बहुसंख्यक समाज का है तो उसका 10 मिनिट से ज्यादा अस्पताल में उपचार नही किया जाता है। अस्पताल के पास के रहने वाले वार्डवासी तो इतना अनुमान लगा लेते है। अगर कोई दुर्घटना हो गयी और वह मरीज माली,देशवाली,रेगर,समाज,का है लोग तुरन्त समझलिया जाता है की दुर्घटना हुआ मरीज अब प्राथमिक उपचार के बाद अजमेर रेफर कर दिया होगा।क्यों की इसकी खास वजह है इस माली,देशवाली,रेगर,समाज के मरीज के साथ आये सेकड़ों की तादात में लोग अस्पताल को घेर लेते है। और इलाज के दौरान मरीज की हालत ज्यादा सीरियस या फिर उपचार में कुछ गलती होने पर अस्पताल को उत्पात मचाते का डर रहता है। इसी भय के कारण सरवाड़ अस्पताल में आये मरीजों को तुरन्त अजमेर रेफर किया जाता है। क्यों की इस अस्पताल में मात्र बुखार है साधारण इलाज व प्रसूता -जननी केन्द्र के लिए जाना जाता है। क्यों की यहा सिर्फ एक्सरे की मशीनरी उपलब्ध है। सोनोग्राफी कराने के लिए केकड़ी या नसीराबाद जाना पड़ता है।

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