अजमेर मंडल में जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

(वर्ष 2030 तक रेलवे में जल उपयोग को 20 % तक कम करना है लक्ष्य)

पुनीत चावला
अजमेर मंडल पर जल संरक्षण के महत्व को साकार करने हेतु कुशल जल प्रबंधन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाया जा रहा है । वर्षा जल संचयन तथा शोधन करके अजमेर मंडल जल संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।इस हेतु रेलवे में जल नीति अपनाई गयी है ।
इस नीति के तहत भारतीय रेलवे ने वृक्षारोपण के लिए भी लक्ष्य तय किया नीति के तहत भारतीय रेलवे ने 3 वर्षों में 5 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है रेलवे पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है इसी कारण रेलवे बोर्ड में पर्यावरण निर्देशालय स्थापित किया गया है ।
मंडल रेल प्रबंधक श्री पुनीत चावला के अनुसार राजस्थान राज्य शुष्क क्षेत्र में है और यहाँ अतः पानी का दुरूपयोग तो रोका ही जाना चाहिए साथ ही पानी की बचत भी की जानी चाहिए क्योंकि भू तल में जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है हाल ही में रेलवे द्वारा जल प्रबंधन नीति को अंतिम रुप दिया गया है जिसके अन्तर्गत विभिन्न साधन व संसाधन जुटाते हुए रेलवे में वर्ष 2030 तक रेलवे में जल उपयोग को 20 % तक कम करना है । जल प्रबंधन नीति जल के उपयोग संरक्षण और भूजल के पुनर्भरण के सभी पहलुओं को कवर करती हैं नई जल प्रबंधन नीति प्रगतिशील एवं रचनात्मक नीति है जिसके तहत सभी को जल की री साइकिलिंग एवं बचत करने के लिए प्रेरित किया जाएगा इस दिशा में काम करते हुए अजमेर मंडल में मंडल के इंजिनिएर्स से एक्शन प्लान माँगा गया है की मंडल पर पानी के उपयोग में कमी किस प्रकार लायी जा सकती है। जल आईटीआई के तहत जल आपूर्ति प्रणाली का उन्नयन, आटोमेटिक वाल्व का उपयोग, सौर वॉटर हीटरों के अनिवार्य प्रावधान, जल ऑडिट , वर्षा जल संचयन, रेलवे भूमि पर पुराने जल निकायों को पुनर्जीवित करना, जल पुनर्चक्रण संयंत्रों की स्थापना , जल कुशल फिटिंग का उपयोग करना के सम्बन्ध में एक्शन प्लान माँगा गया है ।
अजमेर मंडल पर जल संरक्षण हेतु अजमेर में 4 लाख लीटर प्रति दिन की क्षमता के एक वाटररिसाइकिलिंग प्लांट अजमेर स्टेशन के रैक धोने आदि के लिए स्थापना की गयी है जिससे इतने आबूरोड व उदयपुर में लगाये गए है । lआबू रोड में 600 किलोग्राम के भंडारण टैंक युक्त वर्षा जल संचयन प्रणाली जो रनिंग रूम के स्टाफ की एक महीने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। ।अजमेर मंडल ने इस और विशेष ध्यान दिया है इस कारण महाप्रबंधक द्वरा प्रथम बार दी गयी ‘पर्यावरण शील्ड’ अजमेर मंडल ने जीती।
कोच केयर कॉम्पलेक्स मदार में स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट
रैक की सफाई के बाद पिट लाइन से निकाले गए पानी को स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट के ईटीपी संयंत्र में पुनर्नवीनीकरण किया जाएगा और कोच के बाहरी धुलाई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इससे ताजे पानी की आवश्यकता कम हो जाती है। एक रेक के बाहरी धुलाई के लिए औसत पानी की आवश्यकता लगभग 8000 लीटर (6000 पुनर्नवीनीकरण + 2000 ताजा) होगी। इसलिए यह स्पष्ट है कि स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट दो तिहाई ताजे पानी की आवश्यकता को बचाता है ।
रेन वाटर हारवेस्टिंग
अजमेर मंडल पर रूफ टॉप रेन वाटर हारवेस्टिंग के अंतर्गत इस वर्ष कुल 13 प्लांट स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है जिसके अंतर्गत वर्तमान में अब तक 9 प्लांट स्थापित किए जा चुके हैं घोसुंडा और रेलवे स्कूल आबूरोड में एक स्थापित स्थापित किए गए हैं शेष बचे प्लांट मदार स्टेशन तथा दो रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन मारवाड़ी जंक्शन पर स्थापित किए जाएंगे आबू रोड स्टेशन पर वाटर ऑडिट का कार्य प्रगति पर है ।

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