जीनगर समाजने दिया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन

अनुसूचित जाति जन जाति निवारण अधिनियम में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पुनर्विचार याचिका केंद्र करे दाखिल
जीनगर समाज के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन तहसीलदार केकड़ी को देकर मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को दिए गए निर्देशों के विरुद्ध केंद्र सरकार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के निर्देश देकर हमे अनुग्रहित करावे।ज्ञापन में बताया गया है कि बिना प्रमाण और आंकड़ो के सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को यह निर्देश दिए गए है कि पुलिस जांच के बाद ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की जाए और आरोपी को भी जांच तक गिरफ्तार नही किया जाए।इन निर्देशों से इस कानून को कमजोर किया जा रहा है।
ज्ञापन में बताया गया है कि उक्त कानून में पीड़ित की शिकायत पर तत्काल रिपोर्ट दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार करने वाले प्रावधान पीड़ितों और समस्त अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए सुरक्षात्मक दीवार का काम कर रहे थे और इनके ही कारण अत्याचारों में कमी भी आई थी।सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद sc/st लोगो पर अत्याचार के मामले बढ़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई है।अतः केंद्र सरकार से पुनर्विचार याचिका दाखिल करवाई जाकर हमे राहत दिलवाई जाए।
समाज के प्रतिनिधि मंडल में तेजमल पंवार रतन लाल पंवार घीसुलाल बिरमदेव महावीर जगदीश रामचंद्र दिनेश चौहान सहित अनेको लोग सम्मिलित थे।

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