जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा और ब्लॉक शिक्षा अधिकारी अरांई दोनों मिलकर संविधान की धज्जियां उड़ा रहे है।दोनों ने सांठ गांठ करके पहले तो केकड़ी ब्लॉक के पूर्व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी भूरालाल रेगर और प्रबोधक जगदीश बारहट जो कि जल स्वावलंबन योजना में गबन के आरोपी है उनको जांच के नाम पर29 नवंबर2017 को लीपा पोती करके क्लीन चिट दी और भूरालाल रेगर की कुशल सेवा निवृति का मार्ग प्रशस्त किया।जिससे राजकोष को लगभग 70 लाख रुपये का चूना लगा।दूसरे इन दोनों अधिकारियों ने संपर्क पोर्टल के राज्य स्तरीय और भ्रस्टाचार ब्यूरो के अधिकारियों को असत्य सूचनाएं देकर गुमराह किया।जो संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है।तीसरे दोनों अधिकारियों ने मिलकर एक शिक्षक के वेतन भत्तों से जुड़े प्रकरण की जांच को 5 माह से भी ज्यादा समय से दबाकर संविधान के अनुच्छेद 21 जीने का अधिकार का उल्लंघन किया है।अनुच्छेद 21 देश के प्रत्येक नागरिक को जीने का अधिकार प्रदान करता है।माननीय सुप्रीम कोर्ट और देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा इसकी अनेकोबार व्याख्या करते हुए कहा है जीने से मतलब पशुवत जीने से नही है गरिमामय जीवन जीने से है।गरिमा मय जीवन बिना पैसे आज संभव नही है।दोनों अधिकारियों द्वारा अपने अपने पद का खुला दुरुपयोग करते हुए वेतन से जुड़े प्रकरण को लंबे समय से दबा रखा है जिससे पीड़ित को आज भी2011 का वेतन मिल रहा है सभी वेतन वृद्धिया चयनित वेतनमान सातवे वेतन मान का लाभ भी नही मिल पाया है।दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि deeo ele और Beeo अरांई मिलकर पीड़ित का जबरदस्त आर्थिक शोषण करने से बाज नही आ रहे हैइनके कारण पीड़ित शिक्षक के सम्मुख परिवार के भरण पोषण की विकराल समस्या मुह बाए खड़ी है।यंहा तक कि दोनों द्वारा निदेशक प्रारंभिक शिक्षा तक को भी असत्य सूचनाएं भेजकर ये दोनों गुमराह कर चुके है।दोनों अधिकारी मिलकरसंविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन कर रहे है।
B EEO अरांई तो खुद को न्यायालय से भी बड़ा समझने लगे है।न्यायालय द्वारा किसी भी वाद में गवाह को एक बार तलब करता है उसके बयान डेफर होने पर ही दुबारा बुलाया जाता है परंतु BEEO अरांई द्वारा जांच के लिए एक प्रधानाध्यापक को अनेको बारबिना TA व DA बुलाया गया मानो वह इनका बेगारी हो।इसकी पुष्टि धर्मेंद्र मालावत प्रधानाध्यापक शोकया खेड़ा पंचायत गोरधा से की जा सकती है।ययह प्रकरण ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की मानसिक स्थिति को स्पष्ट करता है कि उन्हें यह भी भान नही की वे आखिर क्या करना चाहते है।
इसी प्रकार जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक द्वारा जब संपर्क पोर्टल को जल स्वावलंवन प्रकरण को निराधार होने की सूचना दी जा चुकी फिर भी 9 मई2018 को जांच के नाम पर ड्रामेवाजी क्यो करवानी पड़ी क्यो सभी नोडल प्रधानाध्यापकों को व्यक्तिगत रूप से तलब नही किया गया।दोनों अधिकारी सार्वजनिक रूप से जिले के तमाम शिक्षकों को यह बताएकी जिस जल स्वावलंबन योजना में गड़बड़ झाले को ये दोनों अधिकारी नकार रहे है वो यह सार्वजनिक करे की उच्च प्राथमिक विद्यालय नायकी की प्रधानाध्यापिका विजय लक्ष्मी गुप्ता द्वारा कार्यालय में जमा करवाई गई राशि आखिर कँहा गई उसे आसमान निगल गया या धरती ने अपने भीतर समाविष्ट कर लिया।गुप्ता मैडम ने 9 मई को Beeo अरांई को दिए लिखित बयान में स्पष्ट लिखा है कि मेरे द्वारा राशि beeo की अनुपस्थिति में o A को जमा करवाई गई थी।मतलब स्पष्ट है कि जल स्वावलंबन की राशि की कार्यालय में ही बंदर वांट हुई है।फिर भी ये दोनों अधिकारी मुख्य आरोपियों को बचाने के लिए झूठ पर झूठ गढ़ने से बाज नही आ रहे और समानता के मौलिक अधिकार की निरंतर हत्या करते ही जा रहे है।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचनाएं नही देकर उक्त अधिनियम की धज्जियां खुले आम Deeo elem द्वारा उड़ाई जा रही है।
ये हालात तो शिक्षा मंत्री जी के गृह जिले के है बाकी राज्य के हालात का अनुमान आप स्वयं लगा सकते है।
शिक्षा मंत्री जी अब क्या करते है इस प्रश्न का उत्तर फिलहाल भविष्य के गर्भ में दफन है।हां ये स्पष्ट है कि दोनों अधिकारियों की तानाशाही चरम पर है इन्हें संवैधानिक प्रावधानों और विधिक नियमो की कोई परवाह नही है।