पालिका के अवैध जमीन बेचानो की जांच शुरू

*चहेतों को बेशकीमती जमीनें बेची कौड़ियों के भाव*
*पालिका के अधिशाषी अधिकारी एपीओ*

केकड़ी 5 जुलाई।
केकड़ी नगरपालिका द्वारा उसके अधीन बेशकीमती सरकारी जमीनों को कौड़ियों के भाव बेचने के मामले कोे राज्य सरकार के मुख्य सचिव ने गम्भीरता से लिया है वहीं ज़मीनों के अवैध बेचान की जांच शुरू कर दी है। सरकारी जमीन के दो अलग अलग मामलों की जांच का जिम्मा मुख्य सचिव ने उप महानिरीक्षक पंजीयन एंव मुद्रांक व उपनिदेशक स्थानीय निकाय को सौंपा है। डीडीआर ने इस मामले की जांच केकड़ी एसडीएम को दी है जिस पर कार्यवाही करते हुए एसडीएम ने एक कमेटी का गठन किया है जिसमें तहसीलदार, उप कोषाधिकारी, मंडी सचिव कमेटी के सदस्य हैं। प्रकरण एक के अनुसार यहां अजमेर-जयपुर बीसलपुर बाईपास पर स्थित सरकारी जमीन जिसकी बाजारू कीमत करीब दो करोड़ रुपये है को नगरपालिका ने मिलीभगत कर मात्र 35 लाख 93 हजार 970 रुपये में बेच दी। वहीं नगर पालिका के मुख्य द्वार के पास पालिका परिसर में पालिका द्वारा दुकानों के लिए भूखंड बेचने का मामला है। पालिका ने यहां 22 व्यवसायिक भूखण्ड काट कर बेचान किये जिनमें से अपने दो चहेतों को आधी रेट में ही बेचने का आरोप है। पालिका ने इनमें से एक को 3 हजार 50 रु प्रति वर्ग फिट व दूसरे को 3 हजार 325 रु वर्ग फिट के हिसाब से बेची थी जबकि अन्य सभी को 5 हजार 500 से 6 हजार 100 रुपये के मध्य बेचान की गई।
मामले कि जानकारी मिलने पर केकड़ी नगर विकास समिति के अध्यक्ष मोडसिंह राणावत ने गत महीनों मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व स्वायत शासन विभाग को शिकायत की थी, जिसमें पालिका के अधिशाषी अधिकारी व पालिकाध्यक्ष द्वारा की गई मिलीभगत का आरोप लगाते हुए अपने चहेतों को बेशकीमती सरकारी जमीन कौड़ियों के भाव बेचने की शिकायत की थी। वहीं पालिका द्वारा बेची गई जमीन की लीज डीड जनहित में निरस्त कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। मामले में स्टाम्प ड्यूटी की हानि व भ्रष्टाचार की आशंका जताए जाने पर राज्य के मुख्य सचिव ने उप महानिरीक्षक पंजीयन एंव मुद्रांक अजमेर व उपनिदेशक स्थानीय निकाय को जांच के आदेश दिए हैं।
अजमेर जयपुर बाईपास मामले में आरोप है कि पालिकाध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी ने पद का दुरुपयोग कर अपने चहेतों को अनुचित लाभ देने के लिए 9 फरवरी 2017 के पूर्व घोषित विभागीय बोली की राशि 225 रुपये प्रति वर्ग फिट को मनमाने तरीके से घटाकर 100 रुपये प्रति वर्ग फिट कर दी। जबकि उस दौरान बाईपास रोड़ 100 फिट चौड़ा बन जाने से उक्त बेचान की गई जमीन की कीमत और बढ़ गई ऐसे में बोली की राशि बढ़ाई जानी चाहिए थी न कि कम। पालिकाध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी ने विभागीय बोली घटाने का मनमाना कृत्य राजस्थान नगर पालिका ( नगरीय भूमि निष्पादन ) नियम 1974 के 6 व 12 आदि का सआशय गम्भीर उल्लंघन है। वहीं जमीन के क्रेताओं को उक्त भूमि खरीद की राशि नियमानुसार 30 दिवस में जमा करानी थी जबकि उन्होंने 142 दिन बाद जमा करवाई।
वहीं दूसरी ओर अभी जांच प्रक्रिया शुरू ही हुई थी कि स्वायत्त शासन विभाग ने पालिका के अधिशाषी अधिकारी भरतलाल मीणा को एपीओ कर दिया है। वहीं भूमि बेचान के मामलों की जांच शुरू होने व ईओ के एपीओ हो जाने से पालिका के अन्य कर्मचारियों में खलबली मच गई है।

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