रीजनल कॉलेज में लगाए एक हजार पौधे

अजमेर, 11 जुलाई। क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान में बुधवार को जिला प्रशासन एवं वन विभाग के सहयोग से एक हजार से अधिक पौधे लगाए गए। पौधारोपण शिक्षा एवं पंचायतीराज राज्यमंत्री श्री वासुदेव देवनानी, जिला कलक्टर आरती डोगरा एवं संस्थान के प्राचार्य प्रो. जी.विश्वनाथप्पा ने किया।

श्री देवनानी ने अपने संबोधन में कहा कि पेड़ों का पर्यावरण से सीधा नाता है। पेड़ पर्यावरण को शुद्ध रखते है। भारतीय संस्कृति में पेड़ों को पुत्र के समान फलदायी माना गया है। पेड़ों का संरक्षण करने के साथ-साथ नए पौधों को लगाना भी आवश्यक है। लगाए गए पौधे वृक्ष बने यह जिम्मेदारी भी कर्तव्य समझकर निभानी चाहिए। हम सभी को प्रतिवर्ष कम से कम एक पौधा लगाकर उसकी पेड़ बनने तक सारसंभाल करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आनासागर झील में वर्षभर पानी भरा रहता है। यह जल भराव पक्षियों को आकर्षित करता है। जलीय जन्तु इन पक्षियों के लिए उत्तम खुराक होती है। पक्षियों के आवास एवं प्रजनन केे लिए पेड़ों की आवश्यकता होती है। रिजनल कॉलेज में पौधे लगाने से पक्षियों को नए आश्रय स्थल मिलेंगे। इससे पक्षियों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी। प्रवासी पक्षियों के आगमन से अजमेर में नए पर्यटक स्थल विकसित होंगे।

उन्होंने कहा कि अजमेर स्मार्ट सिटी बन रहा है। अजमेर शहर में रीजनल कॉलेज की तरह विभिन्न स्थानों पर पौधारोपण किए जाने की प्रचुर संभावना है। हम सभी को मिलकर अपने घरो के आसपास पौधे लगाने चाहिए। शहर के हरित क्षेत्र में वृद्धि होने से स्मार्ट सिटी का लक्ष्य शीघ्र ही पूर्ण होगा।

श्री देवनानी ने कहा कि वाहनों की संख्या में वृद्धि होने से वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है। इसे संतुलित करने के लिए अधिकतम पेड़ लगाए जाने चाहिए। वृक्ष वायु में कार्बन डाई ऑक्साइड जैसे विषैले तत्वों को संतुलित करने का कार्य करते है। प्रदूषण से होने वाले नकारात्मक प्रभाव से भी बचा जा सकता है। साथ ही ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्प्रभाव भी कम होते है।

क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान के प्राचार्य प्रो. जी.विश्वनाथप्पा ने कहा कि जिला प्रशासन एवं वन विभाग के सहयोग से कॉलेज की खाली पड़ी जमीन का सदुपयोग होगा। वन विभाग द्वारा नीम, शिशम, बड़, पीपल एवं करंज के पौधे उपलब्ध करवाए गए है। इन पौधों की लम्बाई काफी होने से इनके जीवित रहने की दर में वृद्धि होगी। कॉलेज का परिसर पूरी तरह से चारदीवारी युक्त होने से पशुओं से भी सुरक्षा रहेगी। सारसंभाल एवं पानी देने का कार्य जिम्मेदारी के साथ किया जाएगा।

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