मैं ईश्वर का अंश हूं- बहन आशा

केकड़ी:– इंसान को कदम-कदम पर चेतन एवं जागरुक रहना है सारा संसार नाशवान है,नाशवान वस्तुओं से प्रीत करना छलावा है। एक अटल अविनाशी से प्रीत करना मौज में रहना है क्योंकि मैं शरीर नहीं हूं,ईश्वर का अंश हूं उक्त उद्गार बहन आशा ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार बहन आशा ने कहा कि इंसान को जीवन में ज्ञानवान, ध्यानवान होना है “ज्ञानी होय, सो चेतन होय” आज इंसान सद्गुरु के चरणों में शीश ही झुकाता है समर्पित होने के लिए मन को भी झुकाना पड़ता है।मनों में आज दीवारें खड़ी की हुई है वहां परमात्मा का निवास कैसे होगा? अगर अकेले बैठे हैं तो परमात्मा का अंग संग एहसास महसूस कर उससे बात करने का प्रयास करें। विशाल प्रभु परमात्मा से जुड़कर संकीर्णता से ऊपर उठकर विशालता को अपनाएं,अपने मनों में प्यार,नम्रता,सहनशीलता के पुल बनाए जिससे जग में सुंदर व्यवहारिक जीवन जी सकें।मन में अगर निंदा,नफरत,वैर को बिठा रखा है वहां परमात्मा का निवास नहीं हो सकता भ्रमों के कारण रिश्तों में दूरियां ही पैदा होगी।
संत,भक्त मान-अपमान,लाभ- हानि,यश-अपयश की परवाह नहीं करते झूठी पहचान में नहीं जीते। आज इंसान अहंकार के पहाड़ को उठाना मंजूर करता है पर प्यार के तिनके उठाना पसंद नहीं करता इसलिए हैरान परेशान एवं दुखी रहता है।शरीर नश्वर है,क्षण भंगुर है,पल में क्या हो जाए कुछ पता नहीं सो समय रहते परमात्मा का गुणगान कर सतगुरु पर तन, मन,धन न्यौछावर करना है क्योंकि साथ कुछ नहीं जाना है सब यहीं रह जाना है सिवाय परमात्मा के नाम धन के।हे परमात्मा जो श्वास तुझे भूलूं वो श्वास वहीं ठहर जाए।पल-पल, दम-दम परमात्मा का स्मरण हो। मन में जो नफरत के दीवारें खड़ी हैं समाप्त कर प्यार,नम्रता,सहनशीलता को अपनाना है।
सत्संग के दौरान अंजू,गौरव, सानिया,पूजा,उमेश,दिव्या,मोहित, हर्षा,भावना,संगीता,दीपक, समृद्धी,अशोक रंगवानी आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया

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