परमात्मा पिता और सत्संग मां होती है

केकड़ी:– क्या भरोसा जिंदगानी का आदमी बुलबुला है पानी का।
आज इंसान के पास दुनियावी मौज मस्ती के लिए समय है पर परमात्मा को याद करने के लिए, संतो का संग करने के लिए समय नहीं है।इंसान निहायत ही संकीर्णताओं में जी रहा है विशाल परमात्मा के साथ जुड़कर विशाल बनना नहीं चाहता है।उक्त उद्गार संत अशोक ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार संत अशोक ने कहा कि मां अपने बच्चों के लिए सर्वत्र न्योछावर करने के लिए तैयार रहती है अपने बच्चों को किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होने देती है ऐसे ही संत निरंकारी मिशन में पांचवी सतगुरु माता सविंदर हरदेव मात्र 2 वर्ष और कुछ समय ही मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख रहीं पर उन्होंने यह अल्प समय अपनी जानलेवा तकलीफ की किंचित मात्र भी परवाह न कर मानव मात्र की भलाई के लिए जीवन जीकर दिखाया है जो सदियों तक आमजन के दिलों पर छाया रहेगा। अगर इससे इंसान सीखना चाहे तो बहुत कुछ सीख सकता है।कहा भी जाता है इंसान कितने साल जिया यह मायने नहीं रखता इंसान ने कैसा जीवन जिया यह मायने रखता है।
संतो महापुरुषों के जीवन से हमें हर पल प्रेरणा लेनी चाहिए।इंसान की सोच और संकीर्णता उसे आगे बढ़ने नहीं देती है उसे विशालता अपनाकर काम,क्रोध, लोभ,मोह,अहंकार का त्याग करना पड़ेगा तभी वह विशाल बन पाएगा।आज इंसान ईर्ष्या जलन से भरा हुआ है,कपड़े तो साफ सुथरे पहनना चाहता है पर मन की मैल को साफ नहीं करना चाहता है। झूठी तारीफ से जल्द ही फूल जाता है पर थोड़ा सा सत्य बोलने पर नाराज हो जाता है। हमारी सोच में न तो भेद होना चाहिये, न ही छेद होना चाहिए तभी हम विशालता को अपना पाएंगे।
आज ज्ञान को कर्म में ढ़ालने की आवश्यकता है जिससे जीवन जीने में सुंदरता आती है।जिसे सहना गया समझो उसे रहना आ गया, जीवन में बस प्यार ही प्यार हो।दुनियावी रूप से जिन्होंने हमें जन्म दिया है वो हमारे माता-पिता हैं।जिसके जीवन में नहीं है तो वह अनाथ कहलाता है लेकिन जिस इंसान के जीवन में परमात्माकी याद और सत्संग है तो उसके जीवन परमात्मा पिता के रूप में और सत्संग मां के रूप में होती है तो वह इंसान कभी अनाथ नहीं कहलाता है।इंसान को अपने जीवन में सत्संग,सेवा और परमात्मा का स्मरण करते रहना चाहिए।
सत्संग के दौरान रेणु,कविता,लता,वंश,नमन,उमेश,गुड्डू,आशा,ईशा,ऋषिता,गौरव,सानिया, सिल्की,प्रीति,पूजा,मोहित,निशा, गोपाल आदि ने गीत,विचार,भजन प्रस्तुत किए संचालन संगीता टहलानी ने किया।

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