अजमेर, 5 सितम्बर। 10-11 सितम्बर से (चांद दिखाई देने के अनुसार ) मोहर्रम शुरु हो जायेगा। यह जानकारी देते हुए ख्वाजा साहब के गद्दीनशीन एस. एफ. हसन चिश्ती ने बताया कि चांद रात से छतरी गेट, इमाम बारगाह पर सलाम शहीद-ए-करबला की याद में पढ़ा जायेगा। चांद की एक तारीख से दस तारीख तक दरगाह शरीफ के आहता-ए-नूर में शहीद-ए-करबला की याद मेंं शाहदत बयान की जायेगी । यह कार्यक्रम चांद की एक तारीख से लेकर 10 मोहर्रम तक जौहर व असर की नमाज के बाद होगा। चार मोर्हरम को दरगाह शरीफ में 72 घंटे के लिए बाबा फरीद का चिल्ला खोला जायेगा। बाबा फरीद का मजार पाकपठन पाकिस्तान में है। इन्हीं दिनों वहां पर उर्स होता है। चांद की एक तारीख से लेकर सात मोहर्रम तक छतरी गेट इमाम बारगाह पर शहीद-ए-करबाल एवं मसीहेख्वानी ईशा की नमाज के बाद होगी। लंगरखाना में भी चांद रात से लेकर 10 मोहर्रम तक मसीहेख्वानी होगी। अंदरकोट हथाई पर शहीद-ए-करबला का बयान एवं मसीहेख्वानी होगी। यह सभी कार्यक्रम 10 मोहर्रम तक चलेंगे । मोहर्रम में विशेषकर चालीस दिन तक हजरत अल्लामा मौलाना मानी अजमेरी का शहीद-ए-करबला की शान में लिखा हुआ सलाम पढ़ा जाता है। श्री चिश्ती ने बताया कि ईदुलजुहा की 29 तारीख से दरगाह शरीफ में रोजाना होने वाली कव्वालियां मोहर्रम शरीफ के चलते बारह दिन तक बंद हो जाती है। मोहर्रम शरीफ बहुत ही गमगीन तरीके से मनाते है। इन दिनों कोई भी खुशी का काम मुस्लिम समाज के लोग नहीं करते है। मोहर्रम के पूरे 40 दिन हर मुसलमान अपनी श्रद्धा अनुसार करबला के शहीदों के जद हजरत इमाम हुसैन एवं उनके साथी 72 शहीदों की याद में अपने-अपने घरों में फातेहा लगवाते है। मोहर्रम के दस दिन जहां-जहां मोहर्रम शरीफ के कार्यक्रम या ताजिये शरीफ का जुलूस निकाला जाता है वहां पर दूध का शरबत, चाय, काफी एवं प्रसाद के रुप में हलीम का लंगर एवं अन्य खाद्य सामग्री बांटी जाती है।