श्रीमद् भागवत कथा पट्टी कटला नवीन लक्ष्मीकान्त भगवान के मन्दिर में प्रारम्भ हुई, प्रातः 8 बजे से वैदिक मंत्रों के द्वारा गणेश स्थापन मंडल पुजन किया गया। बाद में संन्यास आश्रम महावीर सर्किल से शोभा यात्रा प्रारम्भ होकर आगरा गेट होते हुए लक्ष्मीकान्त मन्दिर कथा स्थल पहँुची, कथा का उद्घाटन समारोह में नृसिंह मन्दिर के महन्त श्याम सुन्दर देवाचार्य जी ने अपने प्रवचन के द्वारा कार्यक्रम का उद्घाटन किया उन्होनें कहा कि श्रीमद् भागवत सुखदेव जी जैसे परमहंसो के संहिता है और उसी परम्परा से चलते आया है वह भी परमहंस स्वामी जी के मुखारविन्द से श्रवण कराया जायेगा। यह कथा 18 पुराणों का निचोड़ है। त्रेता युग में सालों साल तपस्या से मनुष्यों का कल्याण होता था, द्वापर में पूजा पाठ के द्वारा और त्रेता में शुद्ध सामग्री से यज्ञ करने से मनुष्यों का कल्याण होता था लेकिन यह कलियुग में शुद्ध सामग्री मिलना मुश्किल है इसीलिए कलियुग में केवल भगवान का नाम एवं भागवत कथा श्रवण करने मात्र से मनुष्यों का कल्याण होता है इसीलिए कलुषित प्राणियों के लिए कथा श्रवण जरूरी है।
कथा व्यास स्वामी श्री शिवज्योतिषानन्द जी के मुखारविन्द से प्रथम दिवस की कथा प्रारम्भ किया गया स्वामी जी महाराज ने भागवत कथा का माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि यह कथा भवसागर से पार होने का साधन है और भगवान का नाम श्रवण करने से, नाम गुणगान करने से वायु मण्डल भी शुद्ध होता है और हमारा मन भी पवित्र हो जाता है, कथा जहाँ पर होती है वहाँ देवताओं का भी वास होता है देवताओं और परिक्षित जी का संवाद श्रवण कराते हुए कहा कि स्वर्ग का अमृतपान से दीर्घजीवी बनता है लेकिन कथामृत से दिव्यजीवी बन जाता है इसीलिए यह अमृतमयी कथा श्रवण करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है सात दिन पर्यन्त यह कथा श्रद्धा, निष्ठापूर्वक कथा श्रवण करें। आज के मुख्य यजमान रवि जी अग्रवाल रहें।