तेजा मेला है या भाजपाइयों का सम्मेलन

*लाखों रुपये खर्च कर चुनाव के एन वक्त भव्य आयोजन क्यों ?*
*इसके पीछे कोई राजनैतिक महत्वकांक्षा या अपने आपको विकल्प के रूप में थोपना तो नहीं*

केकड़ी नगर पालिका द्वारा परम्परागत रूप से हर वर्ष तेजा दशमी पर भराया जाने वाला मेला इस बार बड़ी शान ओ शौकत से आयोजित होने जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार मेले के आयोजन पर अन्य वर्षों के मुकाबले 3 से 4 गुना रुपये खर्च किये जायेंगे। एक मोटे तौर पर करीब 12 से 15 लाख रुपये खर्च किये जाने का अनुमान है। तेजा मेले में इस बार भाजपा के हर छोटे मोटे कार्यकर्ता को आमंत्रित किया गया है वो भी पूरी विधानसभा क्षेत्र से। यहां तक कि क्षेत्र के हिंदूवादी संगठनों के मुखियाओं को भी आमंत्रित किया गया है। वहीं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी, संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, स्वायत शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी, उप मुख्य सचेतक मदन राठौड़, भाजपा के वर्तमान व पूर्व पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है।
कहीं इसके पीछे शहरी नेता की पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने की राजनैतिक महत्वाकांक्षा तो नहीं या फिर अपने आपको विकल्प के रूप में थोपना तो नहीं। मेले में अतिथियों के रूप में केवल भाजपाइयों को ही आमंत्रित किया गया है, जबकि क्षेत्र के व्यापारी, उधोगपति व प्रशासनिक अधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए था। वर्तमान भाजपा बोर्ड पिछले तीन साल से हर तेजा दशमी पर मेले का आयोजन कर रहा है लेकिन इस बार ही भव्यता क्यों, कहीं शहरी नेता को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले क्षेत्र के गांवों तक अपनी पहचान बनाना मकसद तो नहीं। जिस प्रकार क्षेत्र की सभी 51 ग्राम पंचायतों से कबड्डी की टीम बुलाई गई है और पूरी विधानसभा क्षेत्र से छोटे मोटे भाजपा कार्यकर्ताओं सहित प्रभावशाली ग्रामीणों को आमंत्रित किया गया है उससे तो ऐसा ही लगता है। मकसद कुछ भी हो मगर जनता की गाढ़ी कमाई यूं पानी की तरह व्यर्थ बहाना कहां की दरियादिली है। शहर में मेले के इस भव्य आयोजन को लेकर तरह तरह की अटकलें व कयास लगाए जा रहे हैं। बरसों से हम देखते आ रहे हैं कि नगरपालिका द्वारा आयोजित होने वाले इस तेजा व पशु मेले में हजारों पशु खरीद फरोख्त के लिए आते थे जिससे पालिका को आय हुआ करती थी और मेले की आय में से कुछ राशि मेलार्थियों व शहर वासियों के मनोरंजन के लिए खर्च की जाती थी लेकिन कुछ वर्षों से मेले में पशुओं के नहीं आने से पालिका की आय बन्द हो गई फिर भी मेले का आयोजन निरन्तर जारी रहा और मेले पर आमजन के मनोरंजन के लिए पालिका सांस्कृतिक कार्यक्रम, कवि सम्मेलन, ऑर्केस्ट्रा नाइट जैसे कार्यक्रम आयोजित करती आई है जिसपर मुश्किल से 3 से 4 लाख रुपये खर्च होते थे लेकिन इस बार सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए पालिका कई गुना रुपये खर्च करने पर आमादा है। पूरे क्षेत्र में पेम्पलेट, बैनर, होर्डिंग्स, निमंत्रण पत्र व स्मृति चिन्ह पर लाखों रुपया खर्च किया जा रहा है। और तो ओर मेले के इस भव्य आयोजन में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों को तय करने से पहले या क्षेत्र से आमंत्रित किए गए भाजपाइयों के बारे में क्षेत्र के मुखिया से तो राय शुमारी तक नहीं की गई। उन्हें तो बस अन्य अतिथियों की तरह कार्यक्रमों में अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। खैर जो भी हो ये पब्लिक है सब जानती है वो बेवकूफ नहीं !

तिलक माथुर
*9251022331*

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