सत्संग कल्पवृक्ष समान है- बहन संगीता

केकड़ी:– सत्संग सुनना एक महान कर्म है सत्संग कल्पवृक्ष के समान है इसमें बैठकर आप जो चाहोगे वह आपको मिलेगा सत्संग से जीवन जीने की कला समझ में आती है।
उक्त उद्गार बहन संगीता ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता रामचंद्र टहलानी के अनुसार बहन संगीता ने कहा कि क्षमा करना वीरों का आभूषण है हमें हर गलती को भुलाकर जीवन में क्षमा को धारण करना होगा। आज जैसा व्यवहार हम अपने लिए चाहते हैं वैसा ही व्यवहार हमें सबके साथ अमल में लाना होगा पर इंसान की फितरत कि वह क्षमा न करके ईट का जवाब पत्थर से देता है जो कि उसके लिए नुकसानदायक साबित होता है । आज का समय मौन रहना, मन को शांत रखना,सहन करना सीखना है क्योंकि एक चुप सौ सुख ले आती है।
आज इंसान झुकना नहीं जो झुकाना पसंद करता है,माफ नहीं करके माफी मंगवाना पसंद करता है।
सत्संग में बैठे हैं तो सबके लिए भले की कामना कर सबके लिए सद्बुद्धि का दान मांगना है। सद्गुरु दर आए व्यक्ति के हर गुनाह माफ करता है हमारा भी फर्ज बनता है कि हम हर पल परमात्मा का स्मरण,चिंतन,मनन करें।सत्संग में संतों,महापुरुषों के मुख से आए हर वचन का पालन कर अपने जीवन में ढ़ालना है। एक बार गलती होने पर इंसान को संभल जाना चाहिए,बार-बार गलती को दोहराना मूर्खता की निशानी है।
आज समय की सद्गुरु माता सुदीक्षा जी भी सभी को प्यार, नम्रता,सहनशीलता,क्षमावानता का संदेश दे रही है हमारा कर्तव्य बन जाता है हम सदगुरु को मान रहे हैं तो सद्गुरु की भी मानें तो ही हमारा जीवन खुशहाल बनेगा।
सत्संग के दौरान समृद्धि,नमन,दिव्या,निशा,कंचन,कविता,चेतन ,प्रेम,किशोर,अंजू,उमेश,रामचंद्र, विवेक आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।
इंग्लिश मीडियम समागम में भाग लेने वाले बच्चों को बहन संगीता ने पुरस्कार और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया।

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