सतगुरु नाम जहाज है चढ़े सो उतरे पार-बहन आशा

केकड़ी:- 14 अक्टूबर।
– इंसान के द्वारा बोले गए शब्द उसे जोड़ते भी हैं और तोड़ते भी हैं इसलिए इंसान को शब्दों का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए।उक्त उद्गार बहन आशा ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चन्द टहलानी के अनुसार बहन आशा ने कहा कि आज समय की सद्गुरु माता सुदीक्षा जी अपने प्रवचनों के द्वारा यही संदेश दे रही है कि इंसान इंसान से प्यार करे क्योंकि सब में परमात्मा का नूर है सब का समान रूप से आदर सत्कार करे।आज टूटना आसान है जुड़ना बहुत ही मुश्किल है।
जीवन में हर कार्य को सद्गुरु का आदेश मानकर करने से सुंदरता आती है इंसान जब जन्म लेता है तो माता-पिता के साथ-साथ उसके कई रिश्तेदार पहले से ही उसके स्वागत सत्कार के लिए मौजूद रखता है जब वही फर्क नहीं रखता तो हम इंसान क्यों दीवारें खड़ी कर रहे हैं।
परमात्मा की बनाई कायनात बहुत ही सुंदर है हमें शरीर भी सुंदर बक्षा है फिर हमारा भी फर्ज बन जाता है कि हम उसके बनाए हुए बन्दों से नफरत नहीं कर प्यार सत्कार करें इससे ही इंसान में मानवता जन्म लेती है।
सबके साथ प्यार-प्यार हो मीठा- मीठा व्यवहार हो इसलिए सभी का दिल जीतने का प्रयास करें, कभी किसी से माफी न मंगवाएं, विशालता अपनाते हुए माफ करने वाले गुण हम अपने आप में पैदा करें।
मरते दम तक परमार्थ का कार्य करें,नेकी करें और उसे जताऐं नहीं,भूल जाऐं।
जिस प्रकार भिन्न भिन्न फूल मिलकर एक सुंदर गुलदस्ते का आकार लेते हैं ठीक इसी प्रकार जीवन में सब के साथ घुल मिलकर रहने से,संगठित रहने से सुंदरता आती है इंसान गुरु के वचनों को ना मानता है तो वह लात मारने के समान है प्रयास करें गुरु के आदेशों का अक्षरस पालन कर पाएं।आज महलों में रहने वाला इंसान बेचैन रहता है उसे चैन की नींद नसीब नहीं होती है और एक दूसरा है जो की झोपड़ी में रह कर भी हर हाल में खुशी भरा जीवन जी कर भी हर हाल में मस्त रहता है।थोड़े में शुकर करें ज्यादा में सबर कर जीवन जीने वाला इंसान सदा खुशहाल रहता है।
सत्संग के दौरान नमन,सानिया, गौरव,समृद्धि,चेतन,दुर्गा लाल, भगवान,सुमित्रा,सोनिया,पूरणप्रकाश,संगीता,रतन चंद, उमेश,आरती आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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