मित्तल हाॅस्पिटल के गैस्ट्रोएण्ट्रोलाॅजिस्ट डाॅ मनोज कुमार ने ‘ईआरसीपी’ के द्वारा किया निदान
रोगी को था 15 साल से पेटदर्द
अजमेर, 29 अक्टूबर ( )। अजमेर जिले के ब्यावर उपखण्ड निवासी गोरधन भाई के पित्त की थैली और नली में पथरी का उपचार मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर बिना आॅपरेशन के ईआरसीपी पद्धति द्वारा किया गया। रोगी 15 साल से पेट दर्द से पीड़ित था। रोगी की पित्त की नली में 22 एमएम की पथरी सहित अन्य कई छोटी पथरियां थीं।
हाॅस्पिटल के गैस्ट्रोएण्ट्रोलाॅजिस्ट डाॅ मनोज कुमार ने दूरबीन के जरिए पित्त की नली से पथरियां निकाल कर रोगी को पेट दर्द से निजात दिला दी। डाॅ मनोज कुमार ने बताया कि रोगी विगत 20 दिनों तक किसी अन्य हाॅस्पिटल में भर्ती रहा जहां जांच के दौरान उसके पित्त की थैली और पित्त नली में कई पथरियां होने का पता चला। पित्त की नली में 22 एमएम की बड़ी पथरी थी। जांच में रोगी के लीवर में थी पथरी होने की जानकारी मिली। तीन दिन पूर्व रोगी को मित्तल हाॅस्पिटल में भर्ती किया गया। रोगी के ईआरसीपी पद्धति से छोटी-बड़ी सभी पथरियां निकाल दी र्गइं और उसके स्टंट डाल दिया गया। रोगी को हाॅस्पिटल से छुट्टी दे दी गई है। रोगी एकदम ठीक है उसके पेट दर्द नहीं है।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर बच्चों व बड़ों में लीवर, आॅंत, पेनक्रियास, गाॅल ब्लेडर व पेट संबंधित सभी रोगों की जांच व उपचार, पेट व आॅंत की एण्डोस्कोपिक (दूरबीन द्वारा) जांच, काॅलोनोस्कोपी, ईआरसीपी (पित्त की नली की पथरी निकालना ) आदि सुविधाएं उपलब्ध हंै। उन्होंने बताया कि हाॅस्पिटल में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएण्ट्रोलाॅजिस्ट की भी नियमित सेवाएं दी जा रही हैं।