मज़ार से उतरे फूलों को लेकर दरगाह कमेटी ने खादिमो के विरुद्ध दर्ज कराया मुकदमा

दोनों अंजुमनों की सहमति से अब खाद का नाम बरकती पत्तीया

नवाब हिदायतउल्ला
अजमेर। (नवाब हिदायत उल्ला) ख्वाजा साहब की मजार शरीफ पर चढ़ाए जाने वाले फूलों को लेकर दरगाह कमेटी ने खादिमो के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को दोपहर दरगाह कमेटी के सहायक नाज़िम महोम्मद आदिल ओर अन्य कर्मचारी जब पवित्र मज़ार से उतरने वाले फूलों को एकत्रित करने पहुंचे तो वहां मौजूद खादिमो ने विरोध किया। और फूल नही उठाने दिये । दरगाह थाने के प्रभारी कैलाश विश्नोई ने बताया कि दरगाह कमेटी की ओर से प्राप्त शिकायत पर खादिम शमीम चिश्ती ओर आछू मियाँ उर्फ इश्हाक के विरुद्ध मारपीट और राजकार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज किया गया है।
जानकारी के अनुसार पवित्र मज़ार पर पेश किए जाने वाले फूलों से खाद बनाने का विरोध कर खादिम अपने स्तर से फूलो को सरधना में ठंडा कर रहे है। शुक्रवार को दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान नाज़िम शकील अहमद के साथ खादिमो कि दोनों संस्था ओ के अध्यक्ष व सचिवो की बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि खाद शब्द के स्थान पर बरकती पत्तियां नाम रखा जाए ग तथा दरगाह कमेटी फूलो को एकत्र करेंगी। उसी निर्णय के बाद दरगाह कमेटी ने कदम उठाया और विरोध करने वाले खादिमों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया
शुक्रवार को दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान नाजिम शकील अहमद, अंजुमन सैयद जादगान के अध्यक्ष मोइन हुसैन, सचिव वाहिद हुसैन, अंजुमन यादगार के अध्यक्ष अब्दुल जर्रार चिश्ती, सचिव डॉ अब्दुल माजिद चिश्ती सहित दरगाह कमेटी के सदस्य मौजूद थे। बैठक को लेकर दरगाह नाजिम शकील अहमद ने बताया कि बैठक में अंजुमनों के पदाधिकारियों से सलाह मशविरा कर निर्णय लिया गया कि मजार शरीफ पर चढऩे वाले फूलों को पूर्व की भांति दरगाह कमेटी द्वारा उठाया जाएगा और इसका निस्तारण दरगाह कमेटी द्वारा कायड़ विश्राम स्थली में एक गहरा कुआं खोदकर किया जाएगा। पूर्व में दरगाह कमेटी अंदरकोट स्थित फूल बावड़ी में फूलों को ठंडा कराती थी लेकिन यह बावड़ी पूरी तरह से फूलों से भर गई है। इसलिए इनमें अब फूल नहीं पहुंच पाते है।
नाजिम ने प्रेसनोट में बताया कि दरगाह में चढऩे वाले फूलों की सेज जो कि ख्वाजा साहब के पवित्र मजार पर प्रस्तुत की जाती है इसके लिए कायड़ विश्रामस्थली में पांच बीघा भूमि में फूलों को उगाने की खेती की जाएगी और इसे गुलाबबाग का नाम दिया जाएगा। इसमेें उगने वाले फूल का उपयोग सेज-ए-गुल में किया जाएगा जो कि प्रतिदिन ख्वाजा साहब के मजार पर प्रस्तुत की जाएगी। नाजिम के अनुसार दरगाह से उतरने वाले फूल विश्रामस्थली में ठंडा करने के बाद इनका उपयोग गरीब नवाज मेहमान खाने यानि की कायड़ विश्रामस्थली में लगाए गए तीन हजार पौधों में डाल कर किया जाएगा और इसका नाम बरकती पत्तियां होगा। उन्होंने बताया कि फूलों से बनने वाली बरकती पत्तियां बाजार में व्यावसायिक उपयोग के रूप में बेची नहीं जाएगी तथा गुलाबबाग में उगने वाले फूलों की खेती में इसका उपयोग किया जाएगा।
खादिमों का है विरोध :
ख्वाजा साहब के पवित्र मजार पर चढऩे वाले फूलों का निस्तारण दरगाह कमेटी और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के द्वारा केन्द्र सरकार की एक योजना के तहत एमओयू कर लकड़ी के पाउडर के साथ मिलाकर खाद बनाने के रूप में किया जा रहा था। इसको लेकर खादिमों ने कड़ा विरोध जताया और दरगाह में चढ़ाए जाने वाले फूलों को दरगाह कमेटी के सुपुर्द करने से इंकार कर दिया। इसके बाद से ही खादिम प्रतिदिन इन फूलों को अपने स्तर से एकत्र कर सोमलपुर स्थित अंजुमन भूमि में अदब के साथ ठंडा कर रहे थे। खादिमों का खाद बनाए जाने को लेकर एतराज था। दरगाह कमेटी द्वारा अंजुमनों से सहमति लेकर पुन: फूलों को खाद के रूप में इस्तेमाल करने की नीति से आने वाले दिनों में खादिम समुदाय की प्रतिक्रिया सामने आएगी। दरगाह कमेटी की फूलों से बनने वाली खाद को बरकती पत्तियां नाम दे रही है।

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