समाज को उन्नत बनाने वाला साहित्य रचें

दीपोत्सव साहित्य संगम का हुआ आयोजन
अजमेर/वर्तमान समय में मानवीय स्वभाव और समाज में व्याप्त विद्रूपताओं, विषमताओं और विकृतियों को दूर करने के लिए लेखकों को समाज को उन्नत बनाने वाले साहित्य का सर्जन करना होगा। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् अजमेर ईकाई द्वारा रविवार 18 नवम्बर 2018 को शाम चारण शोध संस्थान मेें आयोजित ‘दीपोत्सव साहित्य संगम‘ अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया ने ये विचार व्यक्त करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी और नये रचनाकारों को सार्थक रचनाधर्मिता सिखाने की आज आवश्यकता है। इस अवसर पर रचनापाठ करते हुए ईकाई अध्यक्ष बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने ‘बेटे से भी ज्यादा मुझको बेटी अपनी प्यारी है‘, डॉ चेतना उपाध्याय ने ‘आओ झाड़ें पोछें अपने भातर के जाले‘, डॉ विष्णुदत्त शर्मा ने आशीष जहाँ पुरखों के चलता हो जीवन संस्कारों से रोज वहाँ दीवाली है‘, गंगाधर शर्मा हिन्दुस्तान ने ‘माटी गाती राग मल्हार संगत करता चाक कुम्हार की‘ और देशवर्द्धन रांकावत ने ‘क्या जन्म हुआ यूं ही मर जाने को जाग अभी तू जिन्दा है‘ रचनाएं सुनायीं। प्रारंभ में विभाग संयोजक कुलदीप सिंह रत्नू ने माँ शारदा स्तुति गायी और सभी ने समवेत स्वर में परिषद गीत ‘भारती की लोक मंगल साधना साकार हो‘ उच्चारित किया।ं कार्यक्रम में डॉ प्रभा शेखावत, शिवदान सिंह, प्रीतम भटनागर, विनोद कुमार दाहरे, दिलीप सिंह चारण सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।
कुलदीप सिंह रत्नू विभाग संयोजक संपर्क-9414982406

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