प्यार -सत्कार वाला वातावरण बनाता है- बहन आशा

केकड़ी:– इंसान को मानव जीवन में हमेशा कर्ता का भाव बनाकर रहना है,परमात्मा की रजा में रहकर आनंद मनाना है, अपने घर परिवार में,अपने आसपास में प्यार वाला,सत्कार वाला वातावरण बनाना है।उक्त उद्गार बहन आशा ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलानी के अनुसार बहन आशा ने कहा कि मेरा साहेब (परमात्मा) नित नवाँ है हर पल नया है।
पता नहीं सांसो की डोरी कब टूट जाए शरीर की कीमत भी तब तक है जब तक इसमें परमात्मा की अंश आत्मा है इसलिये समय रहते संतो का संग कर लें, परमात्मा का गुणगान कर लें। जीवन में सतगुरु की सिखलाई को अपनाना है हर पल चेतन, जागरूक होकर जीवन जीना है। शब्दों का चयन हमें सोच समझ कर करना चाहिये क्योंकि शब्द हमेशा छोटे होते हैं शब्दों का सदुपयोग सुकून देते हैं और दुरुपयोग कलह क्लेश पैदा करते हैं जीवन जीना दूभर कर देते हैं।
हे परमात्मा सब कुछ आप ही का ही दिया हुआ है आपका ही आपको अर्पण कर रहा हूं इसमें मेरा कुछ भी नहीं है तुम ही हमें ताकत बक्श रहे हो।तुम्हीं ने हमें संभाल रखा है,सेवा करवा रहे हो समागम मेंसंगतों में भेज रहे हो इसलिए कृपा करना हर पल तुम्हारा गुणगान करते हुए बीते।
इंसान पल-पल गुनाह कर रहा होता है सद्गुरु कदम कदम पर हमें क्षमा कर रहे होते हैं हमारा शुक्रिया भी अदा कर रहे हो ते हैं इससे शर्मिंदगी की बात और हमारे लिए क्या हो सकती है हमें समझना होगा हम उन्ही शब्दों का चुनाव करें जो वापस हमें मिले तो हमें दुख ना पहुंचे,हमें शर्मिंदा ना होना पड़े।
मानो तो मैं गंगा जल हूं ना मानो तो बहता पानी जो जल की धारा संतो महापुरुषों के चरणों को छू जाती है चरणामृत बन जाती हैइसलिए हमें भी संतों महापुरुषों का संग कर अपना जन्म सवांरना है सद्गुरु माता सुदीक्षा ने भी नौजवानों को समय रहते सत्संग सेवा सिमरन के लिए हर पल तैयार रहने के लिए कहा है क्योंकि जो इंसान जगा हुआ होता है वही दूसरों को जगाने का प्रयास भी करता है।
सत्संग के दौरान सानिया,शीतल, माया,गोपाल,रोहित,रीना,उमेष, अंजू,गोरव,द्वारका,भगवान आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन संगीता टहलानी ने किया।

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