मन तू ज्योत स्वरूप है, अपना मूल पहचान

केकड़ी:- 20 जनवरी।- परमात्मा की कृपा से हमें मानव तन मिला है और परमात्मा ने अपनी अंश आत्मा से इसे संवारा है हमें अपने मूल की पहचान कर इसमें ही स्थित हो जाना है।उक्त उद्गार संत गोपाल ने अजमेर रोड स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलानी के अनुसार संत गोपाल ने कहा कि संत महात्मा ही अपने मूल की पहचान कराते हैं अंग संग परमात्मा की जानकारी देकर उसका गुणगान करना सीखाते हैं पर इंसान भौतिकता की दौड़ में स्वार्थवश सभी को भूल बैठा है परमपिता से अनजान रहने पर वह बार-बार जन्मता मरता है योनियों में भटकता रहता है मानव तन में ही परमात्मा का स्मरण कर उसे जानकर इंसान आवागमन के चक्कर से मुक्ति पाई जा सकती है जिस प्रकार कल पुर्जे मशीनों से जुड़े हुए हैं तो उनकी कदर है, छूटने पर वह कचरे में चले जाते हैं ठीक इसी प्रकार इंसान की कीमत भी जीते जी परमात्मा के नाम सिमरण से जुड़े रहने पर है और कहा भी गया है “मृतक कहिये नानका जो प्रीत नहीं भगवंत” मृतक वह नहीं जिसमें स्वांस नहीं हैं, उसे भी कहा गया जिसे प्रभु परमात्मा से प्यार नहीं है बस स्वांसों की कदर करना आ जाए। है प्रभु मुझे तू कबूल है तेरा दिया सब कबूल है थोड़े में सबर करना है और ज्यादा में हमें शुक्र करना है एवं हर समय संतो का संग कर हमें परमपिता परमात्मा की भक्ति करते रहनी है।
सत्संग के दौरान विवेक, दिव्य,माया,समृद्धि,रोहित,शीतल,आरती,चेतन, संगीता,लक्ष्मण आदि नेगीत,विचार,भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारीहा ने किया।

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