मोहर्रम के दौरान मनाई नौचन्दी जुमेरात

अजमेर। सात मोहर्रम को दुनिया भर के मुसलमानों के साथ साथ अजमेर के मुसलमानों ने भी नौचन्दी जुमेरात मनाई। इस मौके पर घरों में मिठाइयों पर नियाज दिलाई गई। साथ ही जिलेभर के मुसलमानों ने बड़ी अकीदत और अहतराम के साथ शोहदाय करबला की याद में मेंहदी की रस्म निभाई। इस मौके पर दरगाह के आसपास के इलाकों से मुसलिमों ने इमाम हुसैन की फकीरी और हरे कपड़े पहनकर अपने आप को इमाम हुसैन का शहदाई और जानिसार साबित करने की कोशिश की।
दस्तूर के मुताबिक जौहर की नमाज के बाद अंदरकोट हताई से अंदरकोट के लोग सद्दों के जुलूस के लिए छतरी गेट गये। वहां से शुरू हुआ अलम का जुलूस। मगरिब की नमाज से कब्ल हताई चौक अंदरकोट पर पहुंचा जुलूस छतरी गेट से लंगरखाना, दरगाह गेस्ट हाउस, निजाम गेट के रास्ते, कमानी गेट और त्रिपोलिया गेट होते हुए अंदरकोट पहुंचा। जुलूस में बड़ी तादाद में आशिकाने हुसैन ने हिस्सा लिया। जुलूस में अजमेर की कदीमी अखाड़ा पार्टियो के मेंबरान ने अपने उस्तादों की मौजूदगी में दिलचस्प, जांबाज और हैरत अंगेज कारनामे दिखाकर फन ए सीपागीरी के नायाब नमूने पेश किये। उस्ताद अब्दुल हमीद के अखाड़े में मौजूद इन नौजवानों की मजहबी अकीदत देखते ही बनती थी। प्यासे शहीदों की याद में अलम के जुलूस के दौरान बड़ी तादाद में तवर्रूख के तौर पर कई मकामात पर शरबत तकसीम किया गया। जुलूस के रास्ते में आने वाले तमाम मकानात, दुकानात, खिड़कियां, दरवाजे और छतें सद्दों का जुलूस देखने वाले आशिकाने हुसैन से भरे पड़े थे। कई लोगों ने तो अकीदत से अलम को चूमा भी।
इस्लामी तारीख में सात मोहर्रम का एक खास मकाम है। रिवायत के मुताबिक इस दिन हजरत कासिम मेंहदी लगे हाथों से यजीद के खिलाफ  हक की लड़ाई लड़ते हुए शहीद हुए थे। यही सबब है कि हजरत-ए-कासीम की याद में सात मोहर्रम को मुसलमान मेंहदी की रस्म अदा करते हैं। इस रस्म के तहत हते के रोज गरीब नवाज की दरगाह के मकबरे में अंजुमन सैयद जादगान की जानिब से बनाया जाने वाला बड़ा ताजिया रखा गया। इस ताजिये पर इमाम हुसैन के चाहने वालो ने हजरत-ए-कासिम की याद में मेंहदी पेश की और मलिदा व रेवड़ी पर नियाज दिलाई। तकरीबन सभी मुसलमान ने अपने दायें बाजू पर इमाम जामिन बांधा, गले में लच्छा डाला और इमाम हुसैन की फकीरी पहनी।
मिनी उर्स के मौके पर जायरीन के लिए खोला गया बाबा फरीद गंज शकर रहमतुल्ला अलेह का चिल्ला जुमेरात के रोज फजर की नमाज से कब्ल बंद कर दिया गया। इस चिल्ले की जियारत के लिए मुल्क भर से भारी तादाद में जायरीन आये। अब ये चिल्ला दस्तूर के मुताबिक अंाईदा साल मोहर्रम के मौके पर फिर खोला जायेगा।
मोहर्रम के मौके पर दरगाह इलाके में हर तरफ  इमाम हुसैन के शहदायी शहीदों की याद में मरसीया ख्वानी कर रहे हैं। ये मरसीया ख्वानी छतरी गेट, हताई, कातन बावड़ी और दिगर मकामात पर मुसलसल हो रही है, जिसमें मिलाद पार्टियां हजरत इमाम हुसैन को खिराजे अकीदत पेश कर रही हैं। दरगाह शरीफ में करबला के शहीदों की याद में उनकी अजमद को बयान करते हुए आलीमों की जरिए तकरीरों का दौर जारी है।

जुमेरात के रोज ईशा की नमाज के बाद अन्दरकोट हथाई पर शोहदाये करबला की याद में नातिया मुशायरा होगा। देर रात गुलाम भाई की महन्दी भी अन्दरकोट से दरगाह शरीफ  के निजाम गेट तक जायेगी।

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