इंसान के कर्म ही वास्तविकता खोलते हैं

केकड़ी:- 24 मार्च।संतो के संग से सत्संग में अपनी बात,वचन से और परमात्मा के चिंतन, मनन से इकमिक होने पर सफलता ही सफलता है और जिसके ध्यान में ज्ञान बैठ गया तो उसके जीवन में आनंद ही आनंद है।उक्त उद्गार संत अशोक ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मीडिया सहायक राम चंद टहलानी के अनुसार संत अशोक ने कहा कि जिस प्रकार इंसान हर कार्य में परमात्मा को पहल देते हुए कार्य करें तो वह कार्य सहजता से पूरा हो जाता है उसमें सुंदरता भी आती है ठीक उसी प्रकार इंसान अपने मन,वचन,कर्म से किसी का दिल न दुखाए, सबके साथ प्यार नम्रता से पेश आएं तो उसके हर व्यवहार में सुंदरता आती है और जीवन जीने में भी आनंद ही आता है लेकिन जिसके जीवन मे परमात्मा का ज्ञान नहीं है वहां अज्ञानता ही अज्ञानता है और भटकनहै। इंसान के कर्म ही उसकी वास्तविकता को खोलते हैं परमात्मा से बाहर कुछ भी नहीं है सब कुछ उसके अंदर समाया हुआ है। इंसान अपने अच्छे होने का कभी भी अहंकार न करें हर पल शुक्राना ही शुक्राना करें और समझे कि जो कुछ भी हो रहा है सब सद्गुरु की कृपा से हो रहा है सद्गुरु ही इंसान के जीवन में ज्ञान का उजाला करते हैं वरना अज्ञानता के अंधकार में ठोकर ही ठोकर है।न तो सद्गुरु ज्ञान पर शंका करें और ना ही भटके।बस सदगुरु के कहे अनुसार अपनी मर्यादा में ही रहे और संसार की माया को अपने ऊपर हावी ना होने दे तो उसका जीवन जीना आनंदमय हो जाता है।
हमारी पहचान आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में होनी चाहिए,घर परिवार मोहल्ले में घृणा नफरत करने से तो नुकसान होता है परिवार के परिवार की छिन्न- भिन्न हो जाते हैं इसलिए इंसान को हर जगह अपनी उपस्थिति सहजता से शालीनता से देनी चाहिए जिससे उसके जाने बाद भी उसके कर्मों की महक महकती रहे और सभी उसके व्यवहार का गुणगान ही करें। सद्गुरु के जीवन में आगमन से सेवा सत्संग सिमरन हो जाता है वहीं पर तन मन धन की सेवा भी हो जाती है जो प्रफुलता ही देती है।
सत्संग के दौरान अंजू,मोहित,मंजू, प्रेम,यीशा,माया,आशीष, दीपक,पायल समृद्धि संगीता आशा,लक्ष्मण आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारीहा ने किया।

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