सद्गुरु के बोल कभी खाली नही जाते

केकड़ी:- 14 अप्रैल।काम,क्रोध,लोभ,मोह , अहंकार,नफरत जैसे नशे से हमें दूर रहना है।प्यार,नम्रता ,सहनशीलता,गुरमत को अपनाना है गुरमत एक संजीवनी बूटी के समान है जिसने भी अपनाया उसका लोक और परलोक सुहेला हो जाता है।
उक्त उद्गार बहन आशा ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मीडिया सहायक राम चन्द टहलानी के अनुसार बहन आशा ने कहा कि इन चमड़ी की आंख से जो कुछ भी दिख रहा है माया है,छलावा है एक न एक दिन नष्ट हो जाने वाला है। इंसान को दुनिया में हर कदम संभाल कर चलना होता है झूठ से हमेशा दूर रहकर सत्य को स्वीकार करना है जिसे स्वीकार करने का तरीका आ गया तो उसके लिए कड़वी बोली भी वरदान साबित हो जाती है। इंसान को अपने अंदर मन रूपी बच्चे को हमेशा जिंदा रखना चाहिए,मन में कभी भी दूसरों के प्रति गलत व्यवहार नहीं आना चाहिए, यह सब सत्संग से संभव है। सत्संग में संतों के,सद्गुरु के बोल कभी खाली नहीं जाते,व्यर्थ नहीं जाते हैं क्योंकि सन्त हमेशा सार-सार को ग्रहण करवाकर,थोथा उड़ा देते हैं।
ज्ञान एक समझ का नाम है यह केवल सदगुरु के द्वारा ही ग्रहण किया जा सकता है जीवन में मन को कभी भी माया के वशीभूत नहीं होना देना है। दुनिया में हर प्रकार के लोग हैं हमें ज्ञान का सहारा लेते हुए माया और मायावती, परमात्मा और संसार , राम और रावण के भेद को समझना होगा।
ज्ञान से ही हमारे जीवन में उजियारा संभव है सत्संग,सेवा, सिमरन का सहारा लेकर हमें परमात्मा के नाम की सिखलाई को समझना होगा,अपनाना होगा।
सत्संग के दौरान प्रेम,सानिया ,गौरव,आरती,संगीता,रतन,हर्षा, रामचंद्र,उमेश,प्रीति, दीपक टहलानी,तरुणा,समृद्धि,अशोक रंगवानी आदि ने गीत,विचार, भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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