हाईदोस खेल कर पेश की शहीदों को खिराजे अकीदत

अजमेर। अजमेर के मुसलमानों ने रविवार को अकीदत व एहतराम के साथ यौमे आशुरा मनाया। यौमे आशुरा के मौके पर दीनदार मुसलमानों ने अपना वक्त मसाजिद और घरों में इबादत में गुजारा और शौहदाय करबला को सवाब पहुंचाने की गरज से नफील नमाजे पढ़ कर उनको बक्शा और दुआएं मांगी। मोहर्रम की तकारीबाद के सिलसिले में जोहर की नमाज के बाद दस्तूर के मुताबिक अंदरकोटियों ने हाईदौस खेली। हाईदौस हताई चौक अंदरकोट से शुरू हुई जो त्रिपालिया गेट तक गई और त्रिपोलिया गेट से वापस हताई चौक के रास्ते कातन बावड़ी, बड़बाव और तालाब के रास्ते आमाबाव तक पहुंची। वहां डोले को सेहराब किया गया। सेहराब करने से पहले आमाबाव पर मिलाद पार्टीयो ने शोहदाये करबला की याद मे मिर्सीयाख्वानी की। इसके बाद डोले शरीफ को बावड़ी में सैराब किया गया गया। इस तकरीब में हजारो मुसलमानों ने शिरकत की। कातन बावडी का डोला भी फूल बावड़ी में सैराब किया गया।
इस मरतबा हाईदोस खेलने के लिए जिला इंतजामिया की जानिब से पंचायत अंदरकोटियान को 100 तलवारों की इजाजत दी थी और हाईदौस खेलने के लिए पुलिस के मालखाने से तलवारें फरहाम कराई थी, लेकिन इजाजत से कहीं ज्यादा लोगों ने हाईदौस खेली। बड़ी तादाद में बच्चो ने भी हाईदौस खेली। गौरतलब बात ये रही कि ये हाईदौस पुरसुकून रहा। जिला और पुलिस इंतजामिया के साथ-साथ अंदरकोटियों ने भी राहत की सांस ली। हाईदौस के दौरान इंतजामात की कमान सिटी मजिस्टे्रट जनाब जगदीश पुरोहित और एडीशनल एसपी जनाब लोकेश सोनवाल ने अपने हाथों में रखी। पुलिस का बड़ा भारी जाप्ता तैनात किया गया था।
हाईदौस देखने के लिए हजारों की तादाद में शहरभर के लोग जमा हुए। कहीं तिल धरने की जगह भी नहीं थी। हाईदौस के रास्ते में आने वाले तमाम घरों की छतों पर औरतों और बच्चों के साथ-साथ हाईदौस देखने वालो के हुजूम नजर आए। जिन रास्तों से हाईदौस गुजरी, उनमें तबर्रूकात और शरबत तकसीम किया गया।
हाईदौस के मौके पर पंचायत अंदरकोट की जानिब से सुबायी वजीर ए तालीम मोहतरमा नसीम अख्तर इंसाफ का इस्तकबाल किया गया। उनके साथ साथ अन्दरकोट पंचायत की जानिब से जिला कलेक्टर वैभव गालरिया, मेयर कमल बाकोलिया, यूआईटी चेयरमेन नरेन शाहनी भगत, नगर परिषद के साबिक चेयरमेन सुरेन्द्र सिंह शेखावत, अकबर के किले क्यूरेटर सयद आजम हुसैन, एडीएम सीटी जनाब जगदीश पुरोहित और मोहम्मद हनीफ समेत साबिक एमएलए हाजी मोहम्मद काजिम खां, शहर कांग्रेस कमेटी के सदर महेन्द्र सिंह रलावता, दरगाह सीओ और दरगाह थाने के सीआई का भी साफा बांधकर इस्तकबाल किया। साथ ही अंदरकोट के मुख्तलिफ  लोगों के भी साफे बान्धे गये।  हाईदौस देखने के लिए हर बार की तरह इस बार भी नसीम अख्तर अपने शौहर हाजी इंसाफ अली के साथ अंदरकोट पहुंची। उन्होंने जिला इंतजामिया और पुलिस इंतजामिया के अफसरान के साथ बैठकर हाईदौस देखी। इस मौके पर नसीम के अलावा मेला मजिस्टे्रट सैयद आजम हुसैन का भी इस्तकबाल किया गया।
हाईदौस के दौरान दर्जनों लोगों के छोटी बड़ी चोटें भी आई, जिनका मौके पर ही इलाज कर दिया गया। दर्जनों लोगों के टांके भी आए। हाईदौस खेलने वालों के इलाज के लिए जवाहर लाल नेहरू अस्पताल की एक मेडिकल टीम मौके पर मौजूद थी।
यौमे आशुरा के मौके पर ऐतवार के रोज शहर के मुखतलिफ माकामात पर भी बनाये गये। चिश्ती नगर खानपुरा के लोगों की जानिब से भी ताजिया बनाया गया, जिसमें बड़ी तादात में मुसलमानों के साथ साथ हिन्दू भाइयों ने शिरकत की हिन्दुस्तान की गंगा जमनी तहजीब एक फिर साकार हुई।
कुन्दन नगर के बाशिन्दों ने गुजिस्ता सालों की तरह इस साल भी ताजिया बनाया और मदार साहब पहाड़ी के आस पास मुस्लिम बस्ती में ताजिये की सवारी भी निकाली।
इमाम हुसैन से अकीदत का इजहार अजमेर की सबसे ऊंची बस्ती तारागढ पर भी किया गया। इमाम हुसैन और तरबला के शहिदों की याद में ऐतवार के रोज तारागढ़ पर जबरदस्त खूनी मातम हुआ। शिया बिरादरी के तकरीबन हर शक्स ने काले लिबास पहन कर मातम किया। इस दौरान तारागढ़ बस्ती के बाजार बन्द रहे और घरों में चूल्हे भी नहीं जले। तारागढ़ पर बनाये गये डोले और अलम की सवारी मीरा साहब की दरगाह के कदीमी इमाम बाड़े से शुरू हुई जो तारागढ बस्ती से होते हुये देगों के चौक के रास्ते करबला शरीफ पहुंचे, जहां पर मातम हुआ और इमाम हुसैन और उनके साथियों को याद किया गया और आलम शरिफ  को मंजिल दी गयी।
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