मानव को हो मानव प्यारा एक दूजे का बने सहारा

केकड़ी(जसवंतपुरा) 25 अप्रैल।संत निरंकारी मिशन के तीसरे सतगुरु युग प्रवर्तक निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज 24 अप्रैल 1980 के दिन मानव मात्र की सेवा करते हुए एवं सत्य का प्रचार करते हुए इस नश्वर शरीर का बलिदान दे दिया। इसके बाद हर वर्ष 24 अप्रैल को निरंकारी जगत में मानव एकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन से पूरे वर्ष भर भारत देश ही नहीं वरन विदेशों में भी रक्तदान करने की श्रंखलाऐं शुरू हो जाती है।
मीडिया सहायक राम चंद टहलानी के अनुसार इस अवसर पर आयोजित विशाल सत्संग में अजमेर की ज्ञान प्रचारक बहन शांति ने अपने प्रवचनों में कहा कि आज वर्तमान युग में इंसान ऊंच-नीच की अमीरी-गरीबी की एवं धर्म,जाति,मजहब में बंट गया है।सबने अपने अपने हिसाब से आधार बनाकर अपने अपने भगवान बना लिए हैं पर निरंकारी मिशन एक परमात्मा की जानकारी देकर सबको अपनाकर एक जगह बैठा रहा है। “अव्वल अल्लाह नूर उपाया कुदरत के सब बंदे एक नूर ते सब जग उपज्या कौन भले कौन मंदे” सारी कायनात एक प्रभु परमात्मा की बनाई हुई है। हम सब उसकी संताने है फिर कैसा वैर, विरोध हमें प्यार,नम्रता से एक होकर रहना है।
“ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिस इंसान की सोच बुरी वह इंसान बुरा है” हमें घर गृहस्थी की जिम्मेदारी को निभाते हुए प्रभु परमात्मा की भक्ति करनी है।
बाबा गुरुबचन सिंह महाराज ने सादा शादियां,नशाबंदी एवं नारी सम्मान की अलख जगाई जो आज मिशन सामुहिक शादियां करवा कर खर्च की बचत करवा रहा है और नशे से दूर रहकर हर बच्चे जवान को संगतो से जोड़ा जा रहा है।नारी के सम्मान हेतु जगह-जगह नारी संत समागम आयोजित किए जा रहे हैं।
बाबाजी कहते थे अगर हम मानव है,तो क्यों न मानव जैसा व्यवहार करें।हर मानव -मानव से प्यार करे ,सत्कार करे तो अपनापन पैदा होगा वैर ,विरोध नफरत की भावना का अंत होगा।
सत्संग में अनेक वक्ताओं ने निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज की जीवनी पर प्रकाश डाला एव गीत विचार प्रस्तुत किए जसवंतपुरा संगत इंचार्ज मुकेश निरंकारी ने परिवार सहित मिलकर साथ संगत का आभार प्रकट किया एवं बहन जी का दुपट्टा ओढ़ा कर स्वागत किया तथा लंगर प्रसादी का आयोजन भी किया गया इस कार्यक्रम का संचालन टांकावास मुखी कालूराम निरंकारी ने किया।

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