सूचना अधिकार में संषोधन विधेयक : मूल अधिकार को गहरा आघात लगेगा

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन सरकार द्वारा 19 जुलाई, 2019 को लोकसभा में सूचना अधिकार में संषोधन विधेयक पेष किया है। प्रस्तावित संषोधन से सूचना के अधिकार कानून को जो कि आम जन जीवन में अपनी समस्या को उजागर करने के लिए एक ब्रम्हास्त्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था उस जनजीवन के मूल अधिकार को गहरा आघात लगेगा। सूचना आयोग के स्वायत्ता के चलते उसने देष की अनेक महत्वपूर्ण समस्याओं पर व भ्रष्टाचार उजागर करने हेतु जो फैसले दिए हैं उनसे सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्षिता व जबाबदेही में इजाफा हुआ है। किन्तु इस संषोधन से सूचना आयोग में नियुक्त आयुक्तों की सेवा शर्तो पर सरकार का नियन्त्रण हो जाने पर निष्चित ही आयोगों से फैसलों की अथवा न्याय की जो अपेक्षा व आषा जनता को है उस पर कुठाराघात होगा। यह मात्र एक सरकारी विभाग में बदल जायेगा। जो कि सरकार के अधीन कार्यरत होगा व इसकी स्वायत्ता समाप्त हो जाएगी। इससे इस कानून को पास करने का उद्देष्य ही खतरे में पड़ जाएगा।

सरकार ने उस व्यवस्था की भी अनदेखी की है जिसमें जनहित का कोई भी कानून बनाने से पूर्व जनता की राय लेना आवष्यक माना गया है। यह एक अलोकतांत्रिक कदम है।

सूचना अधिकार कानून बनाते समय इस बात का ध्यान रख गया था कि सूचना आयोग स्वतंत्र होंगे एवं स्वायत्ता के साथ कार्य करेंगे। इसके लिए केन्द्रीय मुख्य सूचना आयोग और सूचना आयुक्तों की स्थिति वैसी ही बनी रहेगी जैसी कि मुख्य चुनाव आयोग व चुनाव आयुक्तों की होती है। लेकिन सरकार के इस कदम से इसे समाप्त किया जा रहा है। सरकार का यह दावा भी कि वह पारदर्षिता, जबाबदेही व सुषासन स्थापित कर देष में अच्छे दिन का जो आभास जनता को करा रही है उस पर भी आघात लगेगा। कुल मिलाकर सरकार का यह कदम सूचना आयोगों के साथ सूचना के अधिकार पर जो कि संविधान के अन्तर्गत एक मूलभूत अधिकार बन चुका है को कमजोर करेगा। व सरकार का यह कदम अलोकतांत्रिक होगा। जिस पर पी.यू.सी.एल., मजदूर किसान शक्ति संगठन, एस.डब्ल्यु.आर.सी. तिलोनिया, व अजमेर में कार्यरत जनसंगठनों ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसका विरोध किया है। व सरकार से मांग की है कि इस संषोधन को वापस लें व सूचना आयोगों की स्वायत्ता को कायम रखते हुए खाली रिक्तियों को तत्काल भरें तथा कानून में उल्लेखित धारा 4 की सरकार के सभी विभागों से अनुपालना को सुनिष्चित करे जिससे कि आयोंगो के कार्य में भी सुविधा होगी।

समीक्षा केम्पस में सम्पन्न बैठक व प्रेस वार्ता में पी.यू.सी.एल., सास्विका, मजदूर किसान शक्ति संगठन, एस.डब्ल्यु.आर.सी. तिलोनिया, गरीब नवाज सूफी मिषन सोसायटी, अजमेर, महिला जन अधिकार संगठन व अजमेर के सभी जनसंगठनों ने षिरकत की।

कैरोल गीता
सचिव
अजमेर, (राज.)

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