अजमेर 09 सितम्बर – पल्लीवाल दिगम्बर जैन मंदिर पाल बीचला, अजमेर में दस दिवसीय पयूर्षण पर्वराज के उपलक्ष में सातवें दिन उत्तम तप धर्म मनाया गया आत्मा को चारो कषायों से रहित कर सत्य और संयम के मार्ग पर चलकर आत्मा और शरीद को तपाने का दिन है।
नवकार महिला मण्डल की अध्यक्षा श्रीमती सरिता जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि विषेष रूप से आज सात नरक भूमियों को दर्षाने वाला एक चलचित्र प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया जिसमें जीव यदि बुरे कृत्य, पाप करता है तो किस प्रकार उसे नरकों की वेदना को भोगना पड़ता है, वहाॅं शरीर पारे की भांति होता है, टुकड़े टुकड़े होकर जुड़ जाता है, नारकियों के शरीर को बरछो, भालों से छेदा भेदा जाता है, गरम कढ़ाईयो में तला जाता है, भूख प्यास की असहनीय वेदना सहनी पड़ती है। सभी श्रावक, श्राविकाओं व बालकों ने इस भयावह दृष्यों को देखकर बुरे कृत्यों को त्यागकर उत्कृष्ट व पुण्य कार्यो में स्वयं को प्रवृत करने का मानस बनाया।
सभा को सम्बोधित करते हुए ‘‘उत्तम तप धर्म’’ पर ब्रहमचारणी बहन संगीता दीदी व नेहा दीदी ने कहा कि इच्छा निरोधस्तम यानि इच्छाओं को रोकना ही तप है। जिस प्रकार स्वर्ण अग्नि में तपे बिना शुद्ध नहीं हो सकता, उसी प्रकार आत्मा भी बिना तप के स्वच्छ और निर्मल नहीं हो सकती। जैन धर्म में दो प्रकार के तप होते है जिसमें पहना अतरंग व दूसरा बहिरंग है। इन दोनो के छ-छ भेद बताये गये है। मनुष्य को इच्छाओं का दास नहीं बनना चाहिये। मनुष्य अंतः करण का स्वामी है और इच्छा अंतःकरण की दासी है तो फिर मनुष्य दासी का दास क्यों बने।
इसी क्रम में कल दिनांक 10 सितम्बर मंगलवार को प्रातः 6ः30 बजे से मंगलाचरण (मंगलाष्टक), 7ः00 बजे श्रीजी का अभिषेक व 7ः15 बजे से विष्व शांति की कामना व समस्त जीवों के कल्याण हेतु ब्रहद् शांतिधारा ब्रहमचारणी बहन संगीता दीदी द्वारा सम्पन्न करवाई जायेगी। तत्पष्चात् संगीतमय नित्य नियम पूजा व दस लक्षण महामंडल विधान किया जायेगा। इसके साथ ही सांय 6ः40 बजे से सामूहिक आरती, प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों भी पल्लीवाल दिगम्बर जैन मंदिर पाल बीचला में आयोजित किये जायेेगे।
(सरिता जैन)
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