मीसा बंदियों की पेंशन बंद: कांग्रेस सरकार का आत्मघाती निर्णय

-भाजपा विधायक व पूर्व मंत्री देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने का निर्णय राजनीतिक दुर्भावना से लिया, जो उसके लिए घातक होगा, इसकी कीमत चुकानी होगी

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 14 अक्टूबर। अजमेर उत्तर के विधायक व पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने संबंधी लिए गए निर्णय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि कांग्रेस के लिए यह कदम आत्मघाती साबित होगा और उसे इसकी कीमत अवश्य चुकानी होगी। इन बंदियों को आपातकाल के दौरान मीसा के तहत जेलों में बंद किया गया था।
देवनानी ने इस आशय के जारी बयान में कहा कि सोमवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने संबंधी लिया गया निर्णय सीधे तौर पर लोकतंत्र के सैनानियों का अपमान है, जो पूरी तरह राजनीतिक द्वेषतापूर्ण है। देवनानी ने कहा, यह जगजाहिर है कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाध्ंाी की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। आपातकाल 21 मार्च, 1977 तक यानी 21 माह लागू रहा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे ज्यादा विवादास्पद लोकतांत्रिक काल था। आपातकाल में चुनाव स्थगित कर दिए गए थे, भारतीय नागरिकों के अधिकार समाप्त कर पूरी तरह मनमानी की गई थी।
देवनानी ने कहा कि आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों सहित लाखों कार्यकर्ताओं को मीसा के तहत जेलों में बंद कर दिया गया था। प्रेस पर प्रतिबंध लगा गया था, ताकि लोकतंत्र का चैथा स्तंभ सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठा सके। उस वक्त लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल को भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा था। पूरे देश में कांग्रेस और अपने खिलाफ तेज होते जनविरोध को देखते हुए श्रीमती गांधी ने लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश कर दी थी। बस यहीं से कांग्रेस की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। कांग्रेस के लिए यह फैसला घातक साबित हुआ। उस वक्त चुनाव में लोकसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या 350 से घटकर 153 पर आ गई थी। यही नहीं, खुद श्रीमती गांधी भी रायबरेली से चुनाव हार गई थीं।
देवनानी ने कहा कि जिस तरह उस वक्त कांग्रेस ने जबर्दस्त मात खाई थी, उसी तरह अब भी मीसा बंदियों की पेंशन बंद करने का निर्णय उसके लिए बहुत घातक साबित होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब भाजपा सत्ता में आई थी, तब मीसा बंदियों को पेंशन देने की शुरूआत की गई थी, जिससे आपातकाल के दौरान जेलों में यातनाएं भोगने वाले लोकतंत्र के सैनानियों को न केवल सम्मान मिला था, बल्कि उनके परिवारों को भी सम्बल मिला था। अब कांग्रेस सरकार के निर्णय से लोकतंत्र के इन सैनानियों के सामने यह संकट पैदा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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