युवा एडवोकेट मनोज आहूजा डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित

हर इंसान में कोई न कोई खूबी होती है, मगर कुछ इंसान ऐसे भी होते हैं जिनमें खूबियों का भंडार होता है हालांकि ऐसे इंसान लाखों में गिने-चुने ही होते हैं। ऐसी ही एक शख्सियत की मैं बात करने जा रहा हूं वे हैं क्षेत्र के युवा एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा जिनमें इतनी खूबियां है कि मैं अगर यहां उनकी खूबियां गिनाने लगूं तो शायद शब्द कम पड़ जाएंगे मगर उनकी खूबियां कम नहीं होंगी। डॉ. मनोज आहूजा वो शख़्स है जिसने कभी किसी गरीब व्यक्ति से कोर्ट में केस लड़ने की फीस नहीं ली, निशुल्क नोटरी सहित विधिक क्षेत्र व समाज सेवा में वे हमेशा अग्रणी रहते हुए सहयोग करते आये हैं। डॉ. आहूजा पेशे से भले ही वकील हैं मगर वे एक शानदार पत्रकार भी हैं, उन्होंने हाल ही में केकड़ी में आयोजित जिला स्तरीय ग्रामीण पत्रकार अधिवेशन में मुख्यातिथि वरिष्ठ पत्रकार न्यूज 18 राजस्थान के स्टेट हेड श्रीपाल सिंह जी शक्तावत व अशिवेशन में मौजूद जिले व संभाग के करीब सवा सौ पत्रकारों के समक्ष घोषणा की थी कि वे राजस्थान के पत्रकारों के लिए पत्रकारिता क्षेत्र में हुए किसी भी मामले का केस बिना फीस के लड़ेंगे ! इन्हें गरीबों का मसीहा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। एक कुशल एडवोकेट होने के साथ-साथ मनोज आहूजा एक अच्छे पत्रकार भी हैं। जो समय-समय पर अपनी कलम से जनहित से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं। ऐसी ही अनेक खूबियों की वजह से युवा एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा को आज गोवा में आयोजित समारोह में अमेरिका की सुविख्यात यूनिवर्सिटी “दी रॉयल अमेरिकन यूनिवर्सिटी” ने डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। आज से उनके नाम के आगे डॉक्टर लगने लगा है, जो बहुत कम लोगों के नसीब में होता है। उन्हें गत दिनों 20 अगस्त को देश की राजधानी दिल्ली में इंडो नेपाल समरसता ऑर्गनाइजेशन द्वारा सद्भावना दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय समरसता अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इस मौके पर भारत, नेपाल सहित 25 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे। यह अवार्ड डॉ. मनोज आहूजा को विधि के क्षेत्र में समाज सेवा करने, निःशुल्क नोटरी करने, निर्धन व्यक्तियों की निःशुल्क पैरवी करने, विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों में सहयोग करने सहित समाज सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए दिया गया था। ज्ञात रहे इस कार्यक्रम में भारत देश की 90 प्रतिभाओं का सम्मान किया गया था जिसमें से विधि के क्षेत्र में एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा का चयन किया गया था। उल्लेखनीय है कि अजमेर जिले के बांदनवाड़ा कस्बे के निवासी डॉ. मनोज आहूजा वर्तमान में केकड़ी, अजमेर के न्यायालय और राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालात का कार्य कर रहे हैं तथा इसके पूर्व राजस्थान सरकार की और से लोक अभियोजक के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। डॉ. मनोज आहूजा के जीवन के आज तक के सफर पर हम गौर फरमाएं तो महसूस होगा कि उन्होंने अपने बचपन में कितना संघर्ष किया है ! उन्होंने किस तरह अपने अभावग्रस्त बचपन के बीच शिक्षा ग्रहण करते हुए यह मुकाम हासिल किया है ! उन्हें संघर्ष का पर्याय कहा जाय तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। बांदनवाड़ा निवासी डॉ. मनोज आहूजा ने अभावों के चलते, संघर्ष के बीच आज जो इमेज बनाई है वो कोई आसान नहीं है। आज वे जिस मुकाम पर हैं केवल खुद के दम पर हैं, संघर्ष के हिलोरों के बीच उनकी धर्मपत्नी चंद्रावती तेजवानी ने उन्हें बहुत ताकत दी है। माँ-बाप के प्यार, दुलार और आशीर्वाद के साथ-साथ उनकी धर्मपत्नी चंद्रावती तेजवानी को भी उनको इन ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। कहते हैं न कि किसी भी पुरुष की सफलता के पीछे महिला का हाथ होता है, तो डॉ.आहूजा की सफलता के पीछे उनकी खुद की कड़ी मेहनत, तपस्या, लगन के साथ ही उनकी धर्मपत्नी चन्द्रावती तेजवानी के सम्बल का बहुत बड़ा योगदान है, वहीं मां-पिता का आशीर्वाद तो है ही। गौरतलब है कि डॉ. मनोज के पिताश्री श्री ओमप्रकाश आहूजा बांदनवाड़ा में सन 1984 में आये थे। इस दौरान आहूजा के पिता ने यहां चाय की होटल पर नौकरी की। सन 1990 में आहूजा के पिता ने बस स्टैंड पर मूंगफली का ठेला लगाया करते थे, उस दौरान स्कूल से आने के बाद मनोज आहूजा अपने पिता के कार्य में हाथ बंटाते हुए खुद बसों में मुसाफिरों को मूंगफली बेचकर अपने पिता की मदद किया करते थे। यही नहीं 1992 में नसीराबाद बस स्टेंड पर कुल्फी का ठेला लगाकर भी उन्होंने अपने जीवन के संघर्ष को जारी रखा। बांदनवाड़ा चौराहे पर पान की केबिन, कॉमिक्स किताबों की दुकान, म्यूजिक सेंटर, किराने की दुकान, जनरल स्टोर पर काम करते हुए आहूजा ने ना केवल पढ़ाई को जारी रखा बल्कि अपने पिता और परिवार की आजीविका चलाने में मदद करते रहे। इसी बीच छोटे भाई शंकर की सड़क दुर्घटना हो जाने और लगभग 10 महीने तक इलाज चलने से मनोज आहूजा को बी.ए. की रेग्युलर पढ़ाई छोड़नी पड़ी लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और प्राइवेट पढ़ाई जारी रखी।बचपन से ही वकालात करने के जुनून और पिता के सपोर्ट से आहूजा ने सन 1998 में बांसवाड़ा के डॉ. नागेंद्र सिंह विधि महाविद्यालय में प्रवेश लिया।यहां भी प्रवेश लेने के लिए आहूजा के पिताश्री ने अपने मित्र से 5 हजार रुपए फीस के लिए उधार लेकर दिए।बांसवाड़ा में पढ़ाई के दौरान उन्होंने एडवोकेट रघुवीर प्रसाद व देवेंद्र निगम के साथ रहते हुए मुंशी का काम करना प्रारंभ कर दिया, जिससे वो अपनी पढ़ाई व अन्य खर्च को वहन कर अपने परिवार पर बोझ नहीं बने। वर्ष 2000 में डॉ नागेंद्र सिंह विधि महाविद्यालय से कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त करके अपने परिवार व गांव का नाम रोशन किया। उसके बादके सफर में आहूजा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरन्तर आगे बढ़ने लगे, इसी बीच सन 2003 में उनका विवाह चंद्रावती तेजवानी से हुआ फिर किस्मत ने साथ दिया और दोहरी ताकत के साथ मनोज आहूजा दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ते ही गए। डॉ मनोज आहूजा भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि शादी के बाद धर्मपत्नी चंद्रावती के सहयोग से आगे बढ़ते हुए ही उन्होंने आज ये मुकाम हासिल किया है। यही नहीं आहूजा जैसा भाई के रूप में भी एक मिसाल है। अपने दोनों भाइयों को भी आहूजा ने हर कदम पर मदद करते हुए उन्हें भी आज एक अच्छे मुकाम पर पहुंचने में मदद की है। आहूजा का डॉक्टरेट के इस सम्मान के लिए उनके इष्ट मित्रों, समर्थकों और परिवार के सदस्यों ने बधाई व शुभकामनाएं दी हैं वहीं बधाई व शुभकामनाओं का सिलसिला जारी है। उल्लेखनीय है कि निशुल्क नोटरी कार्य करने और निर्धन लोगों की निशुल्क पैरवी करने तथा समाज सेवा के मामले में आहूजा को 2 बार जिला स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। वे इंडियन असोसिएशन ऑफ लायर्स सुप्रीम कोर्ट के मेम्बर हैं तथा राष्ट्रीय अधिवेशन में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। मनोज आहूजा ने राजकीय महाविद्यालय अजमेर से डिप्लोमा इन लेबर लॉ प्राप्त कर वकालात का सफर प्रारंभ किया जो वर्ष 2000 से लगातार वकालात का कार्य समाजसेवा की भांति कर रहे हैं तथा पीड़ित लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि वे गलत व्यक्ति की कभी पैरवी नहीं करते। आहूजा महावीर इंटरनेशनल और भारत विकास परिषद के माध्यम से मेडिकल कैम्प, वृक्षारोपण, ब्लड डोनेशन कैम्प आयोजित करवा चुके हैं। वे पीड़ित मानव सेवा कार्य का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। वे वर्ष 2014 से 2016 तक राज्य सरकार की और से अपर लोक अभियोजक और राजकीय अभिभाषक के पद पर सेवाएं दे चुके हैं। ऐसी और अनेक खूबियां हैं मनोज आहूजा में जिसकी वजह से वे हर दिल अजीज हैं उन्हें इस सम्मान के लिए हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं।

तिलक माथुर 9251022331*

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