एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा ने चाइना देश के खिलाफ पेश की याचिका

यूनाइटेड नेशनल हाई कमिश्नर फ़ॉर हूमन राइट्स ,हूमन राइट्स काउंसिल के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जिनेवा(स्विट्जरलैंड) में अजमेर के एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा ने चाइना देश के खिलाफ पेश की याचिका….
अजमेर जिले के बांदनवाड़ा निवासी डॉ. मनोज आहूजा एडवोकेट ने अपने अधिवक्ता साथी जिनेश सोनी के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय न्यायालय जिनेवा(स्विट्जरलैंड) में आज चाइना देश के खिलाफ याचिका पेश कर उसके खिलाफ मानवधिकारों के उल्लंघन व भारत देश में हुई लॉक डाउन,राष्ट्रीय महामारी की वजह से जनहानि,आर्थिक हानि के कारण कार्यवाही करने की मांग की है।भारत देश से प्राप्त आंकड़ों के मिलने के बाद सभी को क्षतिपूर्ति राशि देने की मांग की है।
प्रार्थी डॉ. मनोज आहुजा एडवोकेट ने अपनी याचिका जरिये ईमेल के पेश कर निवेदन किया है कि पीपल रिपब्लिक ऑफ चाइना के द्वारा मानव के अधिकारों का घोर उल्लंघन किया है।क्योंकि जो कोरोना वायरस उनके देश से पुरे विश्व में फैला है उससे विश्व के 190 देश प्रभावित हुए हैं।चाइना को उक्त बीमारी की जानकारी दिसंबर 2019 में हो चुकी थी उसके बाद भी उसने इस बीमारी को छुपाया।जिन लोगों ने इस बीमारी के बारे में बताना चाहा उसकी आवाज को चाइना ने बन्द कर दिया।और उन्हें अफवाहें फैलाने के नाम पर दंडित किया गया।मानव अधिकारों में हेल्थ केयर शब्दावली को जोड़ा गया है जो कि यूनिवर्सल डिक्लेयरेशन ऑफ हूमन राइट का पार्ट है परंतु चाइना ने जानबूझकर इस तथ्य को छुपाते हुए कारोनटाईन की आड़ में बीमार पड़े लोगों को अस्पताल में भी नहीं जाने दिया।ताकि इस बीमारी के बारे में किसी को पता ना चले।चाइना द्वारा किये गए इस लापरवाही पूर्वक कृत्य की वजह से यह संक्रमण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलते फैलते 190 देशों में फैल गया जिससे पुरे विश्व में 823626 लोग संक्रमित हुए तथा 40593 व्यक्ति अपनी जान गंवा चुके हैं।यह रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सार्वजनिक की है।दिनांक 11.3.2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतरराष्ट्रीय महामारी घोषित किया जिस पर भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे राष्ट्रीय महामारी घोषित करते हुए दिनांक 24 मार्च 2020 को 21 दिन के लिए लॉक डाउन के आदेश दिए।भारत गणराज्य में भी अब तक 2800 से ज्यादा रोगी संक्रमित पाए जा चुके हैं।तथा 77 रोगी इस बीमारी से मृत्यु का शिकार हो चुके हैं।चाइना ने फेशियल रिकॉनाइजेशन सिस्टम का प्रयोग किया जो भी स्पष्टया मानव अधिकारों का उल्लंघन है।याचिका में यह भी लिखा गया कि चाइना देश का नाम वैसे भी मानव अधिकारी उल्लंघन कारी देशों में गिना जाता है।चाइना के द्वारा इस प्रकार मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन किया है जो किसी भी प्रकार से क्षम्य नहीं है।चाइना के उक्त कृत्य से भारत देश की आर्थिक,सामाजिक,राजनीतिक व्यवस्थाएं ठप्प हो गई।उक्त बीमारी के चलते प्रार्थी पिछले 12 दिनों से घर में कैदी का जीवन यापन कर रहा है।वह अपना वकालात का कार्य नहीं कर पा रहा है।उसका कार्य लोगों को न्याय दिलाना है।हजारों लोगों को वह न्याय दिलाने से वंचित हो गया।वह खुद ही नहीं लांखों करोड़ो भारतीय लोग अपने घरों में कैद है ।हजारों लोग इस संक्रमण की वजह से अपने बीवी बच्चों से दूर है।हजारों लोगों को सामाजिक सरोकारों से वंचित होना पड़ रहा है।भारत देश के 138 करोड़ लोगों को अनावश्यक ही इस महामारी का शिकार होना पड़ा ।77 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।इन सबका जिम्मेदार चाइना है।चाइना को इस कृत्य के लिए दोषी ठहराया जाकर दंडित किया जावे।सभी भारतीयों को क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जावे।77 लोगों की हुई मृत्यु पर उनके परिजनों को भी क्षतिपूर्ति राशि दिलाई जावे।और जो भी परिस्थितियों के अनुसार कोर्ट को उचित लगे वो कार्यवाही की जाए।एडवोकेट डॉ. मनोज आहूजा ने यह याचिका सोनी एरोना के डायरेक्टर जिनेश सोनी एडवोकेट के माध्यम से पेश की है।
जिनेश सोनी के मोबाइल नम्बर 9461276899 तथा डॉ. मनोज आहूजा एडवोकेट के मोबाइल नम्बर 9413300227 पर ली जा सकती है।

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