अजमेर । शहर जिला कांग्रेस ने शहर की सघन आबादी क्षेत्रों में कोरोना शेल्टर होम स्थापित किए जाने को प्रशासन का असफल प्रयोग बताते हुए इन आश्रय स्थलों को शहर की सीमा से बाहर कायड़ विश्राम स्थली पर शिफ्ट करने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि घनी आबादी क्षेत्र में स्थापित शेल्टर होम के कारण स्थानीय निवासियों में असुरक्षा का भय व्याप्त हो गया है। प्रशासन को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता मुजफ्फर भारती के मुताबिक संगठन के अध्यक्ष विजय जैन ने सोमवार को राज्य सरकार एवं कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट विश्वव मोहन शर्मा को एक आवश्ययक पत्र लिखकर शहर की विभिन्न कालोनियों के आसपास स्थापित शेल्टर होम को कायड़ विश्राम स्थली पर स्थानांतरित किए जाने के संदर्भ में विस्तृृत जानकारी दी।
कांग्रेस अध्यक्ष जैन ने पत्र में बताया कि अजमेर जिला प्रशासन द्वारा माह मार्च एवं अप्रैल में शहर के विभिन्न इलाकों में कोरोना बचाव के मद्देनजर अनेक शेल्टर होम स्थापित किए गए। शहरी क्षेत्र के विभिन्न रिहायशी इलाकों में शेल्टर होम स्थापित किए जाने का प्रशासनिक प्रयोग शहर में पूर्णरूपेण असफल हो चुका है। जिसका सबसे जीवंत उदाहरण रेल म्यूजियम में स्थापित शेल्टर होम रहा है, जहां पर अभी तक लगभग 13 से अधिक कोरोना पॉजिटिव केसेस सामने आ चुके हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे परिसरों से निरुद्ध व्यक्तियों के भागने की घटनाएं अब आम हो चुके हैं। इसके परिणाम स्वरूप लोगों का विश्वास इन शेल्टर होम से ना केवल उठने लगा है बल्कि शहर की कानून व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती बन चुका है। और घनी आबादी क्षेत्र में रहने वाले लोग अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार पत्र में बताया गया कि संपूर्ण अवांछनीय घटनाक्रम के बाद भी जिला प्रशासन इन सभी घटनाओं से सबक लेने को कतई तैयार नहीं है। तथा अभी भी जिला प्रशासन शहर के सघन आबादी क्षेत्रों जैसे बधिर विद्यालय, ख्वाजा मॉडल स्कूल, टांक शिक्षण संस्थान, सम्राट पब्लिक स्कूल, सेंट्रल एकेडमी स्कूल, डी ए वी सेंचुरी पब्लिक स्कूल, डी एन बी हिंदी मीडियम स्कूल, अविनाश माहेश्वरी स्कूल, सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय इत्यादि स्थानों पर शेल्टर होम्स का संचालन करने हेतु प्रयासरत है, जो वहां निवास करने वाले लोगों के जीवन हेतु संकट उत्पन्न कर सकता है। क्योंकि प्रशासन ऐसे परिसर निरुद्ध व्यक्तियों को वहां से निकल कर आसपास की बस्तियों में घूमने फिरने से रोकने में असफल सिद्ध हो चुके हैं।
जिला कलेक्टर एवं सरकार को अवगत कराया गया कि उक्त तथ्यों के परिपेक्ष्य में कायड़ विश्राम स्थली हर दृष्टिकोण से शेल्टर होम संचालन हेतु एक सुरक्षित स्थान है। कायड़ विश्राम स्थली का परिसर 80 बीघा भूमि पर होने के कारण शेल्टर होम में रहने वाले व्यक्तियों को परिसर के भीतर घूमने फिरने की स्वतंत्रता प्रदान करता है। वहीं दूसरी ओर वहां लगभग 200 शौचालय शेल्टर होम में निरुद्ध व्यक्तियों की सोशल डिस्टेंसिंग को भी सुनिश्चित करते हैं। इसके अतिरिक्त कायड़ विश्राम स्थली शहर से लगभग 4 किलोमीटर दूर है और इसके आसपास कोई रिहायशी बस्ती नहीं होने के कारण संक्रमण फैलने का खतरा भी लगभग शून्य हो जाता है। प्रशासनिक दृष्टि से भी एक स्थान पर स्थापित शेल्टर होम का संचालन पर अपेक्षाकृत ज्यादा सहज एवं सरल होगा।
शहर कांग्रेस की ओर से राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन से मांग की गई के शहर में अलग-अलग स्थानों पर सघन रिहायशी बस्तियों में स्थापित शेल्टर होम्स को बंद करके, समेकित रूप से कायड़ विश्राम स्थली पर एक ही शेल्टर होम का संचालन किया जाकर संक्रमण को फैलने के खतरे को तत्काल रोका जाए।