अजमेर, 6 जुलाई। पूर्व शिक्षा राज्य मंत्री एवं विधायक अजमेर उत्तर वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार द्वारा परीक्षा आयोजन को लेकर अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि 10वीं व 12वीं कक्षा की बकाया बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन पिछले दिनों सरकार द्वारा कराया गया तब सरकार को कोरोना संक्रमण फैलने की चिन्ता नहीं हुई और अब काॅलेज व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की परीक्षा रद्ध करके इसे सरकार का संवेदनशील कदम बताया जा रहा है।
पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी ने कहा कि प्रदेश सरकार की स्पष्ट व दूरदर्शी सोच के अभाव में ही संक्रमण फैलने का खतरा होने के बावजूद 10वीं तथा 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की परिक्षाओं का आयोजन कराया गया जबकि बोर्ड परीक्षार्थियों की आयु काॅलेज व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से तो काफी कम होती है। 10वीं कक्षा के विद्यार्थी तो लगभग 15-16 वर्ष की आयु के होते है सरकार को कम से कम उनके बारे में तो सोचना चाहिए था। ग्रामीण क्षेत्र के कई गांवों के विद्यालयों में परीक्षा केन्द्र दूसरे गांव में होते है ऐसे में उन्हें परीक्षा देने के लिए अपने घरों से निकलकर वहां तक जाना पड़ा। उन्होने कहा कि सरकार यदि बोर्ड परिक्षाओं को लेकर समय पर गंभीरता से निर्णय करती तो बकाया परिक्षाओं के आयोजन के स्थान पर 10वीं व 12वीं के विद्यार्थियों को भी काॅलेज व विश्वविद्यालय के लिए अपनाए गए फार्मूले के अनुसार अगली कक्षाओं में प्रमोट किया जा सकता था।
देवनानी ने कहा कि एक तरफ सरकार कोरोना संक्रमण के खतरे में भी बोर्ड की बकाया परीक्षाओं का आयोजन कराने पर अपनी पीठ थपथपा रही है वहीं काॅलेज व विश्वविद्यालय की परीक्षा रद्ध कर इसे सरकार का संवेदनशील कदम बता रही है। सरकार के दोहरे मापदण्डों के चलते विद्यालयी छात्रों को कोरोना महामारी के दौरान उत्पन्न मानसिक तनाव की स्थिति में भी बकाया परीक्षाएं देनी पड़ी।