भू अभिलेख आधुनिकीकरण के महाभियान ने राजस्थान को दी नई दिशा

राज्य के 13 जिलों के साथ ही 292 तहसीलें आॅनलाइन
अजमेर, 26 जुलाई/ राज्य की आम जनता से संबंधित सेवाओं को सरकार के स्तर पर सहज, सुगम और पारदर्शिता के साथ उपलब्ध कराने को लेकर लिए गए दूरदर्शी निर्णयों से मिल रहे सार्थक परिणामों से राज्य विशिष्ट पहचान बना रहा है। राजस्थान में भू अभिलेख आधुनिकीकरण के महाभियान ने लोक राहत का नया अध्याय लिखा है जहां 33 जिलों की 339 में से 292 तहसीलें आॅनलाइन होकर कार्य कर रही हैं। राज्य के अजमेर, कोटा, श्रीगंगानगर, चुरू, जयपुर, जालौर, जैसलमेर, झालावाड़, झुन्झुनूं, धौलपुर, प्रतापगढ़, बाॅंसवाड़ा और सीकर जिले पूरी तरह आॅनलाइन की श्रेणी में शामिल हो गये हंै।
राजस्व मंडल के अध्यक्ष आर. वेंकटेष्वरन ने बताया कि सरकार के स्तर पर राज्य के भू अभिलेख को आम जन को आॅनलाइन उपलब्ध कराने को लेकर व्यापक स्तर पर प्रयास किये गये इसी का सार्थक परिणाम है कि अतिषीघ्र राज्य की सभी 339 तहसीलें आॅनलाइन होने जा रही है।
एक समय था जब भूमिधारकों को भू अभिलेख, नक्शों, नामांतरण जैसे कार्याें के लिए पटवार मण्डल व तहसीलों को जाना पड़ता था। राजस्व कार्मिकों के विविध दायित्वों, प्राथमिकताओं की व्यस्तताओं के रहते काश्तकारों को कई बार समय पर दस्तावेज उपलब्ध होने में देरी भी हो जाती थीे। लेकिन भू अभिलेख आधुनिकीकरण के बाद अब किसी भी समय तथा किसी भी स्थान पर रिकॉर्ड की आॅनलाइन उपलब्धता से यह राह अत्यंत आसान हो गई है।
इस बहुद्देश्यीय कार्यक्रम को व्यावहारिक तौर पर सफलता के साथ लागू करने के लिए राज्य के राजस्व विभाग, भू-प्रबन्ध विभाग व पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग पृथक-पृथक रूप से महती भूमिका अदा कर रहे हैं। राज्य की 292 ऑनलाइन तहसीलों में ई-मित्रों के माध्यम से ई हस्ताक्षरित खाते की नकल, खसरा गिरदावरी व राजस्व नक्शों की प्रतिलिपियाँ जारी की जाने लगी है, वहीं जमाबंदी भी आम जन के लिये आॅनलाइन उपलब्ध है।
राजस्व मंडल के निबंधक बीएल मीणा ने बताया कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के तहत राजस्थान में तहसीलों में संधारित रिकाॅर्ड रूम्स को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित माॅडर्न रिकॉर्ड रूम के रूप में स्थापित कर वहां राजस्व रिकाॅर्ड को स्केन कर सुरक्षित किया जा रहा है। यहाँ संबंधित संसाधनों के साथ ही दूर-दराज से आने वाले काश्तकारों के बैठने की उचित व्यवस्था भी की गई है। राज्य में 339 तहसीलों में से 106 तहसीलों के लिए चतुर्थ चरण लीगेसी रिकॉर्ड स्केनिंग का कार्यादेश जारी कर दिया गया है जिनमें से 13 तहसीलों में यह कार्य पूर्ण हो चुका है।
इसी प्रकार राज्य के 529 उप पंजीयक कार्यालयों में पूर्व में पंजीकृत हो चुके दस्तावेजों की स्केनिंग करवा डाटा सेंटर के उच्च तकनीकी सर्वर पर सहेजा जा रहा है। ये दस्तावेज आवश्यकता पड़ने पर आसानी से आम जन को उपलब्ध जायेंगे।
राज्य में राजस्व नक्शों की सुरक्षा के साथ ही खातेदारों का विवरण अंकित करने व काश्तकारों को रिकार्ड की जानकारी आॅनलाइन उपलब्ध कराने को लेकर खसरा नक्शों के डिजिटाइजेशन का कार्य राज्य सरकार करवा रही है। इसमें सेटलमेंन्ट शीटों की स्केनिंग, डिजिटाइजेशन, तरमीम तथा जमाबंदी को लिंक करने के कार्य भी शामिल हैं।
राज्य के 33 जिलों में इस कार्यक्रम के तहत 6 फर्मों के माध्यम से नक्शे डिजिटाइज करने का कार्य किया जा रहा है अब तक राज्य के 46 हजार 821 गांवों की 1 लाख 29 हजार 955 शीट्स डिजिटाइज्ड हो चुकी हैं। इनमें से 95 हजार 897 शीट्स को अंतिम तरमीम पूरी कर ई-धरती सॉफ्टवेयर से लिंक कर दिया गया है। तहसीलों का भू अभिलेख पब्लिक डॉमिन पर उपलब्ध है, जिसके माध्यम से काश्तकार के नाम, पिता के नाम, खसरा नम्बर, खाता नम्बर आदि से जमाबन्दी की जानकारी एक क्लिक में उपलब्ध हो पा रही है।
काश्तकारों को आदिनांक राजस्व रिकॉर्ड की उपलब्धता को लेकर एनआईसी द्वारा “ई-धरती” सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। जिसमें प्रत्येक खातेदार को पृथक रूप में चिन्हित करते हुए खातों का विस्तृत विश्लेषण, रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर से लिंकिंग व जमाबन्दी के अलावा अन्य राजस्व रिकॉर्ड आॅनलाइन उपलब्ध हो रहा है। वर्तमान में राज्य की 292 तहसीलों को ऑनलाइन कर अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
राजस्व रिकाॅर्ड व पंजीयन सॉफ्टवेयर को लिंक कर दिया गया है। वर्तमान में सभी आॅनलाइन तहसीलों में स्वतः नामान्तरकरण की व्यवस्था लागू हो गई है। इसी प्रकार काश्तकारों की सुविधा हेतु जमाबन्दी प्रतिलिपि, सीमा ज्ञान तथा नामान्तरकरण हेतु ई-मित्र के माध्यम से आवेदन का प्रावधान कर दिया गया है। अब ई-मित्र साफ्टवेयर को ई धरती सॉफ्टवेयर से लिंक किया जाने की कार्यवाही की जा रही है।
अब कृषक व आमजन को आॅनलाइन जमाबंदी के अवलोकन की सुविधा के साथ ही खसरा गिरदावरी व नामान्तरकरण की ई-साइन्ड प्रतिलिपियां राज्य की सभी ऑनलाइन तहसीलों में जारी करने का प्रावधान कर दिया गया है। राजस्व विभाग की ओर से 17 मई 2019 को जारी अधिसूचनानुसार ई-मित्र के माध्यम से ई साइन्ड खसरा गिरदावरी व नक्शों की प्रतिलिपियां जारी की जा रही है।
अपना खाता डॉट राजस्थान डॉट इन वेबसाइट पर सभी जिलों की सभी ऑफलाइन या ऑनलाइन तहसीलों की जमाबंदियां अद्यतन उपलब्ध हंै, जिससे आमजन के लिये जानकारी के साथ-साथ प्रतिलिपि प्राप्त किया जाना सहज हो गया है।
निष्चय ही भू अभिलेख आधुनिकीकरण से राजस्व प्रशासन का सुदृढ़ीकरण, सेवाओं की पारदर्षिता से आम जन तक पहुंच, समस्त भू-अभिलेखों की आॅनलाइन सर्वसुलभता, नागरिकों एवं राज्य कार्मिकों के समय की बचत व तीव्रता से कार्य निष्पादन, स्वचालित नामान्तरकरण प्रक्रिया से भू सम्पत्ति के हस्तान्तरण में धोखाधड़ी से बचाव, अनावश्यक वाद-विवादों में कमी, राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की पात्रता संबंधी सूचनाओं की सुलभता, भू-अभिलेखों के रख-रखाव में पारदर्शिता, कार्यकारी एजेन्सियों में बेहतरीन समन्वय, भू-अभिलेख अपरिवर्तनीय व सुरक्षित रहेगा, नवीन विधियों से किया गया सर्वेक्षण अतिशीघ्र होगा एवं इसमें त्रुटियां न्यूनतम होंगी। लोक कल्याण का यह सुनहरा अध्याय राजस्थान के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में लिखा जायेगा।
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प्रशासनिक एवं वित्तीय नियम पर त्रिदिवसीय वेबिनार
राजस्व मंडल सहित अन्य तकनीकी एवं लेखाधिकारी ले रहे भाग
अजमेर, 26 जुलाई/ प्रशासनिक एवं वित्तीय नियम विषयक त्रिदिवसीय राज्य स्तरीय वेबिनार ओटीएस के तत्वावधान में सोमवार से शुरू हुई जिसमें राजस्व मंडल सहित विविध विभागों के वरिष्ठ स्तरीय लेखाधिकारियों एवं तकनीकी अधिकारी भाग ले रहे हंै।
इस कार्यशाला में वित्तीय अनुशासन, वित्तीय अनियमितताओं में कमी, कार्यालय अध्यक्ष व आहरण वितरण अधिकारियांे की शक्तियों में अंतर, शेड्यूल ऑफ पावर, वसूली संबंधी शक्तियां, आचरण नियम 32 संबंधी नियमों की बिंदुवार जानकारी तथा राजस्थान सेवा नियम से संबंधित विषयों पर विषय विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला। इस कार्यशाला में राजस्व मंडल से उप वित्तीय सलाहकार सूरजप्रकाष मोंगा, मुख्य लेखाधिकारी कृष्ण पाल सिंह, लेखाधिकारी अमित शर्मा, सहायक लेखा अधिकारी सुनील शर्मा, राजेश शर्मा, कनिष्ठ लेखाकार राहुल शिवम पारीक, रौनक जैन व हिमांशु भाग ले रहे हंै।

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