
शनिवार को जारी बयान में देवनानी ने सवाल किया कि आखिर सरकार मदरसों को सरकारी खजाने से 25 लाख रूपए तक की मदद और 90 प्रतिशत तक अनुदान देने का निर्णय कर क्या साबित करना चाहती है। सरकार केवल अल्पसंख्यक समुदाय को ही इस तरह की मदद क्यों करना चाहती है। क्या इस प्रदेश में केवल मदरसे ही आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं। क्या मदरसों को ही सरकारी मदद की जरूरत है। क्या सरकार की नजर में सरकारी व प्राइवेट संस्कृत और वैदिक विद्यालयों की कोई अहमियत नहीं है।
देवनानी ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश रहा है। इसके बावजूद कांग्रेस और उसकी सरकारों ने हमेशा से तुष्टिकरण की नीति अपनाई है। कांग्रेस केवल अल्पसंख्यकों के हितों की सोचती है, उसका बहुसंख्यक हिन्दुओं की दशा और उनके शिक्षा संस्थानों की तरफ कोई ध्यान नहीं है। यदि वास्तव में सरकार प्राइवेट शिक्षा संस्थानों की आर्थिक स्थिति को लेकर इतनी ही ज्यादा चिंतित है, तो उसे सरकारी और प्राइवेट संस्कृत व वैदिक विद्यालयों की आर्थिक स्थिति की भी चिंता करते हुए मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।
यह जनता का धन है, किसी एक पार्टी का नहीं
देवनानी ने कहा कि सरकारी खजाने में जनता का धन होता है, ना कि किसी एक पार्टी या नेता का। इसलिए सरकार को सरकारी खजाने का इस तरह दुरूपयोग करने से पहले सोचना होगा। यदि वह प्राइवेट शिक्षा संस्थानों की मदद करना ही चाहती है, तो केवल मदरसों तक ही सीमित ना रहकर वैदिक और संस्कृत विद्यालयों को भी शामिल करना होगा। केवल वोट बैंक की खातिर अल्पसंख्यकों के मदरसों को ही दोनों हाथों से धन लुटाया जाना पूरी तरह असंवैधानिक होगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने मदरसों को आर्थिक मदद देने के लिए आवेदन मांगे हैं।
हिन्दू विरोधी मानसिकता
देवनानी ने कहा कि इसी प्रकार तीर्थ नगरी पुष्कर में कार्तिक धार्मिक मेला आयोजित करने की अनुमति नहीं देना, पशु मेले के लिये कई शर्तें लगाना, दीपावली पर आतिशबाजी करने पर पाबंदी लगाना और विभिन्न स्थानों पर आरएसएस को पथ संचलन की अनुमति नहीं देना भी कांग्रेस सरकार की हिन्दू विरोधी मानसिकता व तुष्टिकरण की नीति को साबित करता है।
महिलाओं व दलितों की सरकार को कोई चिंता नहीं
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में महिलाओं और दलितों पर आए दिन अत्याचार और अपराध बढ़ते जा रहे हैं। सरकार उनकी सुरक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है। इसके बावजूद सरकार को केवल अल्पसंख्यकों की चिंता सता रही है। उन्होंने कहा कि सरकार केवल वोट बैंक की राजनीति के चश्मे से ही किसी एक समुदाय को देखकर निर्णय नहीं करे। सरकार सभी वर्गों और समुदायों के लिए होती है, इसलिए सरकार को सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय करने चाहिए।