नंद जंहा से आते है वंहा आनंद होता है-मोरारी बापू

केकडी 7 दिसम्बर(पवन राठी) / परम पूज्य संत घनश्याम दास महाराज के पावन सानिध्य एवं उत्तम व्यवस्था में ” सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय ” ” सर्वे भवन्तु सुखिनः ” समस्त भक्तों के स्नेह और सहयोग से श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा स्थल-वृंदा होटल परिसर में कथा राष्ट्रीय संत दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि गजेंद्र मोक्ष, समुद्र- मंथन, वामन अवतार, श्री रामचरित, श्रीकृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव की कथा का गान किया गया यश प्राप्त करने की दौड़ में आगे रहना अनुचित बात नहीं है, मगर दूसरे की बात को बिगाड़ कर यश प्राप्त करना अनुचित है। यश भागी बनने और यश भागी बनने के लिये दूसरे को यश देने की वृत्ति रखने से ही यशभागी बन सकोगे। जगत में बड़ा वह है जो अन्य को बड़ा कर दिखाता है।
भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य् का अवसर जानकर नंद बाबा की बहन सुनंदा जी आयी हैं। हम आपको भी सुनंदा बनना है। जगत में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक प्रकार के लोग जहां जाते हैं वहां आनंद होता है और दूसरे प्रकार के लोग जहां से जाते हैं? वहां आनंद होता है। जहां जाते हैं वहां आनंद होता है, उसका नाम है नंद और जहां से जाते हैं वहां आनंद होता है।
कथा के समापन पर हरिप्रसाद जोशी और उनका परिवार ने सहयोग किया
कथा में उपस्थित सैकड़ों भक्तों ने श्रद्धालुओं ने पूजा आरती का लाभ प्राप्त किया।

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