कूट रचित दस्तावेजो से भूमि बेचान कराने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के कोर्ट ने दिए आदेश

पूर्व तहसीलदार करतार सिंह भी है प्रकरण में मुल्जिम
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केकड़ी 15 फरवरी(पवन राठी) कूटरचित दस्तावेजों से नगर पालिका की भूमि को अपनी भूमि बताकर बेचान करने के मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम युवराजसिंह ने तत्कालीन उप पंजीयक करतारसिंह सहित 6 जनों के खिलाफ केकड़ी पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिये।
केकड़ी निवासी मोहम्मद इब्राहिम पुत्र अब्दुल मन्नान देशवाली ने एडवोकेट आसीफ हुसैन के जरिये परिवाद पेश कर बताया कि उसके दादा जमाल खां व नूर खां से खसरा नम्बर 3173 मुल्जिम रामप्रकाश शर्मा व अब्दुल मन्नान ने 31 जुलाई 1981 को खरीद कर कब्जा प्राप्त किया। उक्त खसरा उसके मकान के पीछे हैं तथा उक्त भूमि में आगे खसरा नम्बर 3175 है जो नगर पालिका की पड़त भूमि थी। जिससे उसके पिता अब्दुल मन्नान ने नगर पालिका के कुछ हिस्से भूखण्ड 99 वर्ष की लीज डीड लिया जिसका पंजीयन उप पंजीयक कार्यालय में करवाया। उक्त भूखण्डों को उसके पिता द्वारा उसकी पत्नी फिरदोस इसायत को विक्रय कर दिया गया। इसके पश्चात् उसकी पत्नी ने आवासीय प्रयोजनार्थ नगर पालिका मण्डल से कुछ हिस्से की ओर लीज डीड करवाई। उसको व उसके पिता व पत्नी को यह पता नहीं था। अभियुक्त रामप्रकाश शर्मा, नीरजकुमार शर्मा, कृष्णा कुमारी, सांवरलाल की नीयत खराब है। उक्त लोगों ने उसके पिता के जीवनकाल में ही हरिप्रसाद शर्मा रजिस्ट्री प्रारूपकर्ता के साथ मिलकर आपराधिक षड़यंत्र रचकर धोखाधड़ी कर कूटरचित दस्तावेज विक्रय पत्र 3 दिसम्बर 2005 को तैयार करवाकर उप पंजीयक कार्यालय में 5 दिसम्बर 2005 को पंजीयन करवा दिया जिसके विक्रेता रामप्रकाश शर्मा व क्रेता के रूप में नीरज शर्मा तथा गवाह के रूप में कृष्णा कुमारी व सांवरलाल तथा रजिस्ट्री प्रारूपकर्ता के रूप में हरिप्रसाद शर्मा थे। उक्त विक्रय पत्र रामप्रकाश शर्मा द्वारा जमाल खां द्वारा विक्रय की गई भूमि के रजिस्ट्री दस्तावेज का हवाला देते हुए 6 जुलाई 1981 को खरीद कर कब्जा प्राप्त किया बताते हुए जिसके विक्रय पत्र का विधिवत पंजीयन उप पंजीयक केकड़ी के कार्यालय में 31 जुलाई 1981 को रामप्रकाश शर्मा द्वारा जाकर विक्रय पत्र कराना बताया। किन्तु उक्त लोगों ने तथ्यों को छुपाने के खारित व भूखण्ड हड़पने के खातिर 31 जुलाई 1981 के विक्रय जो उसके दादा द्वारा किये खसरा नम्बर को दर्शित नहीं किया। उक्त लोगों ने विक्रय पत्र में एक नक्शा लगाया जो उसके पिता व पत्नी की लीज डीड की भूमि का व नगर पालिका भूमि खसरा नम्बर 3175 का था। उक्त विक्रय पत्र जो मुल्जिमान ने करवाया उसमें उसके पिता के लगवा प्लॉट मुल्जिमान को विक्रय करना बताया है तथा विक्रयशुदा प्लॉट के पास गली व खेत नाहटा का बताया है तथा दक्षिण दिशा में अजमेर डामर सड़क केकड़ी बतायी है जबकि नगर पालिका केकड़ी से प्राप्त नक्शा में खसरा नम्बर 3173 पीछे बताया है। उसके पिता का मकान व भूखण्ड पर नगर पािलका द्वारा पड़त जमीन व पड़त जमीन पालिका के पास नाहटा का खेत बताया है। उक्त नक्शे में अधिशासी अधिकारी के हस्ताक्षर व सील मोहर है। अर्थात् उक्त मुल्जिमान ने कूटरचित विक्रय पत्र तैयार करवाया गया है। इसके पश्चात् उसके द्वारा उक्त मुल्जिमान के द्वारा किये गये विक्रय पत्र की प्रमाणित प्रति निकलवाई तो वह हक्का बक्का रह गया।
तत्कालीन उप पंजीयक करतारसिंह पर परिवादी ने अपने परिवाद में आरोप लगाया कि उनके द्वारा मौका नहीं देखकर उसके पिता व पत्नी तथा नगर पालिका की पड़त भूमि का पंजीयन करना भी पर का दुरूपयोग करना है। जबकि उप पंजीयक यदि कोई दस्तावेज का पंजीयन होता है तो उस भूखण्ड का मौका देखकर पंजीयन तथा पंजीयन दस्तावेज का अवलोकन करता है उसमें खसरा नम्बर है या नहीं तथा प्लॉट का नम्बर है कि नहीं तथा विक्रेता है कि नहीं देखता है। अर्थात् आपराधिक षड़यंत्र में तत्कालीन उप पंजीयक करतारसिंह भी शामिल है। उनकी देखरेख में विक्रय पत्र मुल्जिमानों के हुआ है।
उक्त परिवार पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने एडवोकेट आसीफ हुसैन के तर्कों से सहमत होते हुए आरोपीगणों के खिलाफ केकड़ी पुलिस को मुकदमा दर्ज करन के आदेश दिये हैं।

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