कांग्रेस सरकार का अजमेर के साथ सौतला रवैया, पूरी तरह उपेक्षित रखा-देवनानी

-मुख्यमंत्री का सारा फोकस केवल केकड़ी पर, किशनगढ़ व मसूदा भी अब थोड़े-थोड़े दिखाई देने लगे, बाकी सभी विधानसभा क्षेत्रों की पूरी तरह से उपेक्षा
-अजमेर के लिए पिछले बजट में जो घोषणाएं की गई थीं, उनमें से एक भी आज तक पूरी नहीं हो पाई हैं
-अजमेर में पर्यटन स्थल होने के बावजूद पर्यटन विकास की योजना से रखा दूर, केंद्र से भरपूर पैसा मिलने के बाद भी नहीं किया खर्च

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 28 फरवरी। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में अजमेर की पूरी तरह उपेक्षा की है। उन्हें केकड़ी के अलावा अजमेर जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्र दिखाई ही नहीं देते हैं। थोड़ा-बहुत किशनगढ़ और मसूदा दिखाई देने लगे हैं, लेकिन बाकी सभी विधानसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री को नजर ही नहीं आते हैं। इससे अजमेर के अन्य विधानसभा क्षेत्र विकास में पिछड़ते जा रहे हैं। इसी प्रकार पर्यटन विकास में भी अजमेर को कोई जगह नहीं दी गई है। यही नहीं, अजमेर के लिए पिछले बजट में जो घोषणाएं की गई थीं, वह भी अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं।
सोमवार को यहां अपने निवास पर प्रेस काॅन्फें्रस को संबोधित करते हुए देवनानी ने कहा कि अजमेर में पब्लिक हैल्थ काॅलेज बनाने, राजस्थान राज्य आयुष अनुसंधान केंद्र की स्थापना करने, करीब 25 करोड़ रूपए की लागत से ट्रोमा सेंटर बनाने, आयुर्वेद, योगा व नेचुरोपैथी का एकीकृत काॅलेज खोलने, मल्टीपरपज इंडोर हाॅल बनाने, विशेष योग्यजन आवासीय स्कूल बनाने और हाॅस्पिटल मैनेजमेंट कैडर बनाने की घोषणा की गई थी। इनमें से एक भी घोषणा व योजना पर आज तक काम शुरू नहीं हुआ है। इन सबके पीछे एक ही कारण दिखाई देता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को केवल केकड़ी विधानसभा क्षेत्र की चिंता है, बाकी विधानसभा क्षेत्र की वे पूरी तरह उपेक्षा किए हुए हैं।
देवनानी ने कहा कि केंद्र सरकार ने मंदिरों व किलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए स्वदेश दर्शन योजना बनाई। इसमें कृष्णा सर्किट, आध्यात्मक सर्किट और हैरिटेज सर्किट बनाए गए, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अजमेर जिले के एक भी तीर्थ और पर्यटन स्थल को इस योजना में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा। जबकि अजमेर में महाराणा प्रताप स्मारक, पृथ्वीराज चैहान स्मारक, दाहरसेन स्मारक और अजयपाल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार को इन सभी स्थलों को पर्यटन स्थल बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजना चाहिए। इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने 29220.41 लाख रूपए दिए थे, जिसमें से मात्र 5068.25 लाख रूपए ही खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार पर्यटन विकास के लिए केंद्र सरकार से मिले 23662.77 लाख रूपए में से प्रदेश सरकार अभी तक 11161.21 लाख रूपए ही खर्च कर पाई हैं। यानी अभी आधी राशि सरकार के पास शेष है, जिसे पर्यटन विकास के लिए खर्च करने की सरकार ने कोई योजना नहीं बनाई है।
अजमेर में एक भी कौशल विकास केंद्र नहीं
देवनानी ने कहा कि राजस्थान में 63 कौशल विकास केंद्र कार्यरत हैं, लेकिन यह अजमेर का दुर्भाय है कि यहां एक भी कौशल विकास केंद्र नहीं हैं। पिछले तीन वर्षों में अजमेर में विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से 3 हजार 594 युवाओं को ट्रेंड किया गया, जिनमें से 526 लोगों को ही रोजगार मिल पाया है।
काॅलेजों में खाली पड़े हैं शिक्षकों के सैकड़ों पद
देवनानी ने कहा कि राजस्थान में 117 नए काॅलेज खोले गए थे, जिनमें स्वीकृत 757 में से 600 पद खाली पड़े हुए हैं और केवल 157 पद भरे हुए हैं। यही नहीं 38 काॅलेजों में तो एक भी शिक्षक नहीं है, ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब काॅलेज में शिक्षक ही नहीं है, तो पढ़ाई कैसे होगी। प्रदेश में कुल 298 काॅलेज हैं, जिनमें 6 हजार 972 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 4 हजार 190 पद भरे हुए हैं और 2 हजार 782 पद खाली हैं। यह उच्च शिक्षा की स्थिति है, तो भला प्रदेश का शैक्षिक स्तर कैसे उठ सकता है।
ठगा-सा महसूस कर रहे हैं संविदा कर्मी
देवनानी ने कहा कि संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए शिक्षामंत्री बी.डी. कल्ला की अध्यक्षता में तीन वर्ष पहले कमेटी बनाई गई थी। लेकिन सरकार ने संविदा कर्मियों को नियमित करने की बजाय उनका मानदेय बढ़ा दिया। इससे संविदा कर्मचारी अपने को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने सत्ता में आते ही संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था, जो सवा 3 साल गुजर जाने के बाद भी पूरा नहीं हुआ है और भी संविदा कर्मियों को नियमित होने की कोई राह दिखाई नहीं दे रही है। इससे कांग्रेस सरकार की कथनी और करनी में अंतर साफ दिखाई देता है।
हमारी सरकार से ज्यादा अनुदान मिला, फिर भी कोसते हैं
देवनानी ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को 20,540 करोड़ रूपए का अनुदान दिया था, जबकि मौजूदा कांग्रेस सरकार को 45,387 करोेड़ रूपए का अनुदान दिया है, जो पूर्ववतर्ती भाजपा शासनकाल को दिए गए अनुदान से दुगुना है। इसके बावजूद कांग्रेस के नेता केंद्र सरकार को कोसते हैं और अपनी नाकामी का ठीकरा पर केंद्र के माथे पर फोड़ते हैं।
ना कृषि का विकास होगा, ना किसानों का भला होगा
देवनानी ने कहा कि इस बार अलग से कृषि बजट पेश किया गया है, लेकिन इसमें पिछले साल से 21 करोड़ रूपए कम रखे गए हैं। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर राज्य में कृषि का विकास कैसे होगा और इससे किसानों का भला किस तरह होगा। कृषि बजट में वर्ष 2021-22 में 13,491 करोड़ रूपए रखे गए थे, लेकिन इस बार इसमें 21 करोड़ रूपए घटाकर इसे 13470 करोड़ रूपए कर दिया गया है। विधानसभा चुनाव में सरकार ने किसानों का 2 लाख तक का कर्जा माफ करने का वादा किया था, वो भी आज तक पूरा नहीं किया गया है।
प्रदेश में 65 लाख युवा बेरोजगार, रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं
देवनानी ने कहा कि राज्य में करीब 65 लाख युवा बेरोजगार हैं, जिनमें से 22 लाख ग्रेजुएट बेरोजगार हैं। 16.4 लाख पंजीकृत ग्रेजुएट बेरोजगार हैं। सरकार ने 1 लाख नौकरियां दिए जाने की बात कही है, जबकि इनमें अधिकांश पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय की हंै। 1 लाख 80 हजार युवाओं को नौकरियां देने की घोषणा पिछले तीन बजटों में की गई, जो आज तक पूरा नहीं हो पाई है। सरकार ने युवा बेरोजगारों को रोजगार देने की कोई भी योजना बजट में नहीं बताई है, केवल हवाई किले तैयार किए हैं।

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