आपराधिक न्यास भंग के आरोपी को मिली जमानत

केकड़ी14 मार्च*पवन राठी* धोखाधड़ी कर आपराधिक न्यास भंग कर भूमि बेचान करने के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय केकड़ी कुंतल जैन ने धोखाधड़ी कर आपराधिक न्यास भंग के आरोपी को बरी करने के आदेश दिये हैं।
दिनांक 03 नवम्बर 2014 को जगदीश पुत्र देवीलाल कहार द्वारा न्यायालय में एक परिवाद उदा व जगदीश के विरूद्ध इस आशय का पेश किया कि उसके स्वामित्व व आधिपत्य की आराजीयात ग्राम उम्मेदपुरा तहसील सावर जिला-अजमेर में स्थित है। उसके पिता ने जरिये रजिस्ट्री क्रय किया तभी से उक्त आराजी उसके पिता के स्वामित्व व आधिपत्य में चली आ रही है तथा उसके पिता की मृत्यु के बाद उसके स्वामित्व व आधिपत्य में चली आ रही है। उक्त के बाबत् अभियुक्त उदा ने एसडीएम कोर्ट केकड़ी में एक वाद विरूद्ध उसके द्वारा प्रस्तुत किया जिसके सम्बन्ध में 26 मार्च 1987 को एसडीएम कोर्ट में राजीनामा पेश किया। उसके अनुसार राजस्व अधिकारियों ने सहवन से अभिुयक्त का नाम हटाकर उसका नाम इन्द्राज नहीं किया गया और अभियुक्त उदा ने बेईमानी व धोखाधड़ी करके उक्त आराजीयात को बेचने की योजना बनाकर जगदीश को उक्त आराजीयात बताई व रेवेन्यू बोर्ड में स्वयं के पक्ष में डिक्री जारी होना बताया। उसने 20 अगस्त 2014 को जमाबन्दी नकल निकलवाई तो वादग्रस्त आराजीयात पर जगदीश के नाम इन्द्राज हो रखा था व जानकारी करने पर पता चला कि अभियुक्त उदा ने रजिस्ट्री करवा दी। उक्त मामले पर न्यायालय द्वारा परिवाद को पुलिस थाना सावर में भेजा जिस पर प्रथम सूचना रिपेार्ट दर्ज हुई जिसमें पुलिस द्वारा धारा 420 का आरोप प्रमाणित माना। इसके द्वारा अधीनस्थ न्यायालय धारा 420, 406 आरोप सुना। उक्त प्रकरण में अधीनस्थ न्यायालय अभियुक्त को धारा 420 भादसं में दोष मुक्त करते हुए धारा 406 में दोषी माना, जिसकी अपील अभियुक्त द्वारा अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सं.2 केकड़ी में की। अपील की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश कुन्तल जैन ने एडवोकेट आसीफ हुसैन के तर्कों से सहमत होते हुए अभियुक्त उदा गुर्जर को बरी करने के आदेश दिये।

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