ब्यावर। बिरद भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में प्रवचन प्रभाविका महासती धैर्यप्रभा जी म. सा. ने उपस्थित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये जैन धर्म इतिहास में घटित हुई एक अनोखी बलिदान गाथा का वाचन किया गया। इस वाचन को सुनकर लोगों की आँखे नम हो गई। महासती जी अपनी अभूतपूर्व वाचनशैली से बताया कि कैसे जैन सन्तों द्वारा जिनशासन की आन बान शान बनाये रखने हेतु अपने प्राणों का त्याग कर दिया और जैन धर्म को बदनाम करने के कुत्सित प्रयास करने वालों को विनम्रता के साथ भगवान के बताए अहिंसा के मार्ग पर चलकर उनके प्रयासों को सशक्तता के साथ विफल किया। लगातार तीन दिवस से चल रहे इस कथानक को सुनने के लिए हजारों धर्मावलंबियों की उपस्थिति रही। सभी ने इस घटना को सुनकर अपने आप को जैन धर्म अनुयायी होने का गर्व महसूस किया।
इस अवसर पर महासती धृतिप्रभा, धीर प्रभा और धार्मिक प्रभा ने *दर्शन गुरुओं के करते कर्मा वाले, दर पे गुरुओं के आते भागा वाले* गीतिका की पंक्तियों से उपस्थित धर्मसभा का मनमोह लिया।
दिवाकर संघ अध्यक्ष देवराज लोढ़ा ने बताया कि आगामी 21 से 23 जुलाई तक भी महासती द्वारा इतिहास के पन्नों में दर्ज एक ओर कथानक का वाचन किया जाएगा, जिसे सुनकर श्रावक श्राविका अपने आप को धन्य महसूस करेंगे। चातुर्मास में कई तपस्याएं भी गतिमान हैं। रविवार को दिन में बच्चों के लिए भी एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
रूपेश कोठारी
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