राजस्थान में नए उच्च शैक्षणिक संस्थानों की नहीं बल्कि संसाधनों की दरकार-देवनानी

– अजमेर के साथ सरकार कर रही सौतेला व्यवहार – देवनानी
– देवनानी ने सदन में उच्च शैक्षणिक संस्थानों की खस्ता हालात पर सरकार को खींचा।
-प्रदेश में संस्थानों की भरमार लेकिन संसाधनों के लिए मोहताज।
-कांग्रेस सरकार की अनदेखी, साढे चार सालों में उच्च शिक्षा का बंटाधार।
– सरकार नित नए विश्वविद्यलाय खोलकर उन्हें दे रही है खुली लूट का लाइसेंस।

वासुदेव देवनानी
अजमेर, 17 जुलाई। पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने राज्य सरकार द्वारा सदन में लाए गए विश्वविद्यालयों से जुडे संशोधन बिल पर बोलते हुए देवनानी ने कहा कि राजस्थान में और नए उच्च शैक्षणिक संस्थानों की नहीं बल्कि उनमें संसाधनों की दरकार है। प्रदेश में विश्वविद्यलय तो खोलते जा रहे है लेकिन उन्हें आवश्यक संसाधन भी मिले इसकी कोई चिंता नहीं है। इसी का परिणाम है कि कांग्रेस सरकार के साढे चार सालों के कार्यकाल में जितना उच्च शिक्षा का बंटाधार हुआ है वह आज तक नहीं हुआ।
देवनानी ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षण संस्थानों के हालत खस्ता है। राजधानी स्थित 76 साल पहले खुली राजस्थान विश्वविद्यालय की 700 से अधिक फैकल्टी खाली पडी है। पत्रकारिता विश्वविद्यालय में 32 में से 26 पद जबकि लॉ यूनिवर्सिटी के तो सभी पद रिक्त पडे है। संस्कृत विश्वविद्यालयों के शिक्षकों का भी कोई पता-ठिकाना नहीं है। पिछले दो साल में राजधानी में खोली गई 9 विश्वविद्यालयों के हालात भी यही है। इतने होने के बाद भी सरकार एक के बाद एक विश्वविद्यलाय खोल रही है। वे संसाधनों के लिए तरस रहे हैं। संसाधन मुहिया कराने के नाम पर सरकार ‘मौन’ है।
देवनानी ने राज्य सरकार पर उच्च शिक्षण संस्था खोले जाने को लेकर अजमेर के साथ सौतेले व्यवहार करनें का आरोप लगाते हुए कहा की अजमेर शैक्षिक नगरी के रूप में विख्यात रही है लेकिन सरकार ने यहां कभी नए शिक्षण संस्थान खोलने पर विचार नहीं किया। इतना ही नहीं, एमडीएस यूनिवर्सिटी में लम्बे समय से रिक्त चल रहे प्रोफेसर के पदों को भरने मे भी कोई रुचि नहीं दिखाई जिससे गुणात्मक शिक्षा पर विपरीत असर पड़ रहा और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा। अधिकांश विभाग गेस्ट फैकल्टी के भरोसे चल रहे है और जो गिनती के प्रोफेसर है वो एक से ज्यादा जिम्मेदारियां संभाल रहे है।
देवनानी ने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में विश्वविद्यालय खोले जा रहे हैं लेकिन चैयरपरसन कौन और उसकी योग्यता क्या होगी इसका कोई अता-पता नहीं है। पैसे के दम पर चैयरपरसन बनकर निश्चित ही मनमानी करेंगे जिसका खमियाजा विद्यार्थियों को ही भुगतना पडेगा। उनसे मनमानी फीस वसूली जाना तय है। फर्जी डिग्रियां देने का खेला जोरों पर होगा जैसे आज कई निजी विश्वविद्यालयों में हो रहा है। विश्वविद्यालयों की ऐसी दुर्दशा और लूट पहले कभी नहीं देखी। विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण का कोई प्रोबिजनल नहीं है। आए दिन नए नए विश्वविद्यालय खोलकर सरकार खुली लूट का विश्वविद्यलायों को लाइसेंस दे रही है। सरकार के केवल 2 माह शेष है फिर भी संस्थान खोलने का सिलसिला जारी है। इन दो माह में कौनसा विश्वविद्यालय खुल जाएगा? कौनसा भवन बन जाएगा, कौनसा फैकल्टी सैट हो जाएगी और उनमें कौन सा बच्चा एडमिशन ले लेगा? विचारणीय है।
मंत्री महोदय जरा संभालो
उच्च शिक्षा मंत्री को केन्द्रित करते हुए देवनानी ने कहा कि नित नये विश्वविद्यालयों की घोषणाओं से उच्च शिक्षा का जो बंटाधार हुआ है वह कभी नहीं हुआ। उच्च शिक्षा मंत्री जरा संभलें और विचार करें कि इन संसाधन रहित विश्वविद्यलायों में अगर मंत्री महोदय के बच्चे पढ रहे होते तो वे किस प्रकार की डिग्री लेकर मैदान में जाते और उन्हें कौन नौकरी देता?
आप तो जा रहे हैं हम सुधारेंगे हालात
देवनानी ने कहा कि सरकार को राजीव गांधी स्टडी सर्किल में अपने योग्य आदमी नहीं मिल रहे इसलिए सरकार प्रिंसिपल तक का चयन नहीं कर पा रही है। आज 90 प्रतिशत महाविद्यलयों में प्रिंसिपल तक नहीं है। यह हालत शर्मनाक है। सरकार स्वयं को संभाले वैसे इस कांग्रेस सरकार के जाने से मंत्री महोदय की कुर्सी जा रही है और हम आ रहे हैं और इन सबको ठीक करने वाले हैं। फिर भी अभी भी सरकार के 3 माह बचे हैं। बच्चों पर रहम करे और जितना हो सके उतना हालात सुधारने का प्रयास करें। सरकार संशोधन बिल पारित करने में ज्यादा जल्दबाजी ना करें बिल को 6 माह के लिए जनमत के लिए प्रसारित किया जाएं।

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