*गंगा भैरव मंदिर पर सप्तमी महोत्सव धूमधाम से मनाया*

अजमेर। अजमेर से 8 किलोमीटर दूर भाई सागर रोड स्थित काजीपुरा ग्राम में अरावली पर्वतमाला की सुरम्य पहाड़ियों के मध्य स्थित श्री गंगा भैरव मंदिर पर आज माघ शुक्ल सप्तमी महोत्सव मनाया गया
मंदिर के पुजारी भाग सिंह रावत ने बताया कि मनोकामना पूर्ण महाआरती एवं दाल बाटी चूरमा का भंडारा भी आयोजित किया गया।

*ये है मंदिर का इतिहास* :
श्री गंगा भैरव मंदिर के पुजारी भाग सिंह रावत बताते हैं कि 1919 में मंदिर की स्थापना की गई थी.। मंदिर में विराजमान भैरव बाबा की मूर्ति स्वयंभू है। मंदिर के इतिहास के बारे में उन्होंने बताया कि नीचे गांव में एक 14 वर्षीय एक बालक गुलाब जी रहते थे, जिसके माता-पिता नहीं थे. पेट पालने के लिए वह जंगल में बकरियां चराता थे. उनके साथ एक और चरवाहा भी जंगल में साथ जाता था।

*चट्टान से निकले भैरो बाबा:*
पुजारी बताते हैं कि एक दिन बालक को आभास हुआ कि कोई उसे कह रहा है कि मैं चट्टान के नीचे हूं. चट्टान हटाओ. बालक ने दूर से देखा तो वहां दो शेर एक झाड़ के नजदीक बैठे थे. बालक ने यह बात अपने साथी को बताई. शेरों को देखकर उसका साथी डर कर भाग गया, लेकिन गुलाब जी वहीं रहे. इसके बाद अचानक गुलाब जी में दैविक शक्ति आई और उन्होंने झाड़ और चट्टान हटा दी. चट्टान हटते ही मूर्ति स्वयं बाहर आने लगी. इस पर बालक ने अपने साथी को चिल्ला कर बताया तो मूर्ति का बाहर आना रुक गया. बालक मूर्ति को वहीं छोड़ गांव चले गये. कुछ दिनों बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. उनकी हालत दिन-ब-दिन और ज्यादा खराब होने लगी. तब उन्हें आभास हुआ कि कोई उन्हें बुला रहा है. यह वही प्रतिमा थी जो चट्टान के नीचे से निकली थी, जिसने बालक को कहा मैं तुझे ठीक कर दूंगा, लेकिन तुझे मेरी सेवा करनी होगी. बालक ने कहा कि मैं तो ठीक हो जाऊंगा, लेकिन मेरी तरह जो भी बीमार और किस्मत का मारा तेरे दरबार तक आएगा उसकी मुश्किलें भी हल करनी होंगी।

*आसपास के गांवों में फैलने लगी ख्याति:*
इसके बाद से बालक वहां सेवा करने लगा. इससे पहले तक वो नहीं जानता था कि वह प्रतिमा किसकी है. भैरो बाबा की ख्याति धीरे-धीरे आस-पास के गांव में फैलने लगी. लोगों के बिगड़ते काम संवरने लगे. निःसंतान दंपतियों को झोली भरने लगी. बीमार लोग भी ठीक होने लगे. आज भी रविवार के दिन श्री गंगा भैरव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है.।

काजीपुरा नवयुवक मंडल के अध्यक्ष कल्याण सिंह रावत ने बताया कि देश के कोने-कोने से एवं विदेशों से श्रद्धालु अपने असाध्याय रोग एवं समस्याओं को लेकर भैरू बाबा के दरबार में हाजिरी लगाते हैं और मान्यता है कि उनकी मनोकामनाएं यहां पूरी होती हैं।
ग्रामीण जयसिंह रावत ने बताया कि चौहान वंश से जुड़े कई ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व की चीजे यहां से डेढ़ किलोमीटर पर स्थित हैं ।
अरावली की सुरम्य वादियो में मंदिर से पीछे 60 मीटर दुर सन सेट एव सेल्फी प्वाइंट भी है।
उन्होंने बताया कि चौहान वंश से जुड़े कई ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व की चीजें यहां से डेढ़ किलोमीटर पर स्थित है जिसमें पृथ्वीराज चौहान कालीन घोड़ो के अस्तबल, सेना का विश्राम गृह, चांदपोल गेट और तारागढ़ की सुरक्षा कवच की 15 फीट चौड़ी दीवार भी मौजूद है।

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