– अढाई दिन का झोपड़ा का ए.एस.आई. से सर्वे के लिए लिखेंगे पत्र
विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने गुरूवार को एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि सचिव सरवर चिश्ती ने जैन संतों को ‘‘बिना कपड़ों के’’ कहा है। भारतीय सनातन संस्कृति में तप और तपस्वियों का सर्वोच्च स्थान है। जैन संत जीवनभर वस्त्रहीन रह कर समाज को अपरिग्रह और तपस्यापूर्ण जीवन का संदेश देते हैं। उनका शुद्ध आचरण समाज में शुद्धता और शुचिता का प्रतीक है। जैन संतों ने सदैव अहिंसा पर बल दिया है। समाज में शांति और सदाचार की बात कही है। ऐसे जैन संतों के खिलाफ अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बयान बेहद घृणित, दुर्भाग्यपूर्ण और उनकी विकृत मानसिकता का परिचायक है। उन्होंने जैन संतों के वस्त्रों को लेकर जो टिप्पणी की है, वह समूचे जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली है।
विधानसभा अध्यक्ष श्री देवनानी ने कहा कि सरवर चिश्ती को सनातन समाज से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अढाई दिन का झोपड़ा सदैव से जनमानस में संस्कृत विद्यालय के रूप में अंकित रहा है। अजमेर के लोग जानते है कि सनातन संस्कृति में प्राचीनकाल में इसका शिक्षा के रूप में क्या महत्व था। कालांतर में इस पर किस तरह कब्जा हुआ और कैसे यह विद्यालय से अढाई दिन का झोपड़ा बना, यह खोज का विषय है। अढाई दिन झोपड़ा की सच्चाई जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा जाएगा। सनातनी इस तरह की ओछी मानसिकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे।