एकात्मक मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की विचार गोष्ठी

प. दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्क मानव दर्शन से समाज को घुघरा, अजमेर पर आज एक विचार गोष्ठी रखी गई, जिसमे एकात्मक मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, अजमेर के संयोजक श्री मान आनन्द सिंह जी राजावत एवं पूर्व माहपोर श्री धमेन्द्र गहलोत एवं नव नियुक्त मण्डल संयोजक श्री राम प्रकाश शर्मा आदि ने उदबोदन दिया एवं प. दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्क मानव दर्शन से समाज को एक नई दशा देने के संबंध में प्रकाश डाला-
प. दीनदयाल उपाध्याय जीवन पर शोध कार्य श्री महेश जी ने किया। जिन्होंने 15 खण्ड की पुस्तिका लिखी । प्रत्येक खण्ड में 300-900 पृष्ठ है जिसका विमोचन मोदी जी ने किया है। इन खण्डो में प. दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों का संकलन है और यह विचार वर्तमान मे प्रासांगिक है। इस संस्थान का मुख्य विषय लोकमत परिष्कार करना है। लोगो को इनके विचार के बारे मे जानकारी देने के लिए स्वाध्याय मण्डलो का निमार्ण कर उनके समक्ष विचार प्रस्तुत कर उन पर मथन करना है। यह संस्था पूर्णतः बौद्धिक तथ्यों पर आधिरित है। 25 सितम्बर को प. दीनदयाल उपाध्याय की जयन्ति पर निर्णय लिया गया कि स्वाध्याय मण्डलो का गठन कर क्षेत्र विशेष के संयोजक को नियुक्ति करना। संस्थान द्वारा मंथन पत्रिका प्रकाशित की जाती है, जिसमे प. दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों का समाअंकलन है। इस पत्रिका का वार्षिक शुल्क 800.00 रु० निर्धारित हैं। इस पत्रिका के माध्यम से संगठन को आगे बढ़ाने एव क्रियाशील बनाये रखने में सहायक है। पत्रिका मे समयबद्धता, विचारो मे सकारात्मकाता और सम्पर्क करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए संस्कृति स्वाध्याय मण्डल का गठन किया गया है। इसस पूर्व पुरूषार्थ स्वाध्याय मण्डल का गठन किया जा चुका है और योजना के तहत सम्पूर्ण शहर में इस प्रकाश के स्वाध्याय मण्डलों का गठन किया जाएगा।
अच्छी विचारधारा का प्रत्याक्षी नेता नही बन पाता है। वर्तमान में कुछ स्थानो पर बाहुबल के आधार पर चुनाव लड़े जाते है।
इस अवसर पर यह संकल्प लिया गया कि मैं आवश्यक रूप से मतदान करूंगा और इस बात की भी मांग की गई, इसे कानून बनाया जाये, मतदान को अनिवार्य करे आर्टिकल 326 में मतदान करना, विधिक अधिकार, मौलिक अधिकार तो है, किन्तु अनिवार्य मतदान की पाबन्धी नहीं है। इसलिए विश्व में 33 देशो ने मतदान अनिवार्य कर रखा है जिनमें से 13 देशो ने इसे दण्डनीय किया है। स्याही के महत्य को बताना होगा। मतदाता को मालिक होने का आभास कराना होगा।
लोकमत परिषकार पर चोट करते रहो हो सकता है एक बार मे परिणाम ना आए परन्तु कभी न कभी तो उसका परिणाम निकलेगा। मिडिया द्वारा प्रचार प्रसार करके हम अपनी बात अधिक से अधिक लोगो तक अपने विचार पहुँचा सकते है। हो सकाता है हमारे प्रयासो से अच्छी सरकार चुनकर आजाये । जैसे वर्तमान में केवल नेतृत्व बदलने के कारण उत्तर प्रदेश, गुजरात में दंगाईयो और आताताईयो का नाश हुआ है। बीजेपी व कम्युनिस्ट पार्टिया ही पं. दीनदयाल जी के विचारो का अनुशरण करती है।
लोकमत परिष्कार मे सभी अपना सहयोग गलहरी के समान देवे । छत के उपर डण्डे पर लगी कटोरियो की कोई दिशा नही होती है वे केवल हवा के कारण ही अपनी दिशा निर्धारित करती है । हमे उन कटोरियों की तरह नहीं बनना है। हमे ऐसा बनना है कि जहाँ हम चले हवा उदर की ही चलने लग जावे।

सुभाष दत्त शर्मा
सहसंयोजक
एकात्मक मानव दर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, अजमेर

error: Content is protected !!