मछली पालन को उद्योग के रूप में विकसित कर आय बढायें -जिला प्रमुख

susil kanwar paladaअजमेर । जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा ने ग्रामीण क्षेत्र के तालाबों में मत्स्य पालन को और बढ़ाने पर जोर देते हुए निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसके ठेके पंचायत समिति स्तर पर कराने का निर्णय लिया। जिला प्रमुख पलाड़ा आज अपने कक्ष में मत्स्य पालन विकास अभिकरण की प्रबन्ध समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रही थी। उन्होंने कहा कि मछली पालन के माध्यम से ग्राम पंचायतें अपनी निजी आय में बढ़ोतरी कर सकती है जिससे अन्य विकास कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है। जिला प्रमुख ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सी.आर.मीना व अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री किशोर कुमार से कहा कि वे जिले की सभी 8 पंचायत समिति के लिए कार्यक्रम तैयार कर मछली पालन के ठेका करे। वर्तमान में ग्राम पंचायत स्तर पर ही बिना किसी ठेके के मछली पालन करने से न तो ग्राम पंचायतों को आय हो रही है और न ही मछली पालन को बढ़ावा मिल रहा है उन्होंने मछली पालन को एक ग्राम उद्योग के रूप में विकसित करने को भी कहा।

जिला प्रमुख ने मछली पालक विकास अभिकरण के मुख्य अधीशाषी अधिकारी श्री लामरोट को निर्देश दिये कि मछली पालन से जिन पंचायत समितियों को 50 हजार रूपये से अधिक की आय हुई है वह आय नियमानुसार जिला परिषद में जमा करायें जो जिला परिषद की निजी आय के रूप में होगी।
बैठक में लामरोट ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में मछली पालन के 900 मैट्रिक टन के उत्पादन के लक्ष्य के विरूद्ध जनवरी माह तक 1014 मैट्रिक टन मछली का उत्पादन हो चुका है। 180 फाईलाख मछली बीज उत्पादन एवं संग्रहण के लक्ष्य के विपरित 335 फाईलाख बीज उत्पादन एवं संग्रहण हो चुका है। मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है जिसमें 18 मछली पालक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सी.आर.मीना ने कहा कि जिला प्रमुख द्वारा मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए किये जा रहे उपायों की श्रृंखला में जिले की पंचायत समिति स्तर पर मछली पालकों को प्रशिक्षण देने उन्हें संसाधन उपलब्ध कराने और नियमानुसार अनुदान देने कि भी व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने मछली पालन से होने वाली निजी आय समय पर अंकेक्षण कराने के भी निर्देश दिये।

जिला परिषद में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर प्रारम्भ

अजमेर । जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह ग्रामीण विकास का मुख्य आधार बनें और ग्रामीण क्षेत्रा की अर्थ व्यवस्था को सुधारनें में पहल करें। उन्होंने कहा कि अजमेर जिला महिला स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम में राज्य में अग्रणी है फिर भी हर ग्राम मंे और अधिक महिला समूह बनाकर रोजगार के संसाधनों को विकासित करना होगा ।

पलाड़ा आज जिला परिषद के सभागार में नाबार्ड की सहायता से महिला अधिकारिता विभाग द्वारा नये महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन एवं उन्हें बैंको से जोड़ने के कार्यक्रम हेतु आयोजित दो दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण का शुभारम्भ समारोह को सम्बोधित कर रही थी। उन्होनंे कहा कि महिला अधिकारिता विभाग की कार्यकर्ता यदि मन से कार्य करे तो गांव का सर्वागीड़ विकास हो सकेंगा।
जिला प्रमुख ने महिला एवं बाल विकास विभाग को ग्राम के विकास का प्रमुख आधार मानते हुए कहा कि यदि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सक्रिय होकर अपने आंगनवाड़ी केन्द्रों का अच्छे तरीके से संचालन करें तो उस ग्राम के नौनिहाल और गर्भवती तथा धात्राी माताओं का स्वास्थ्य बिलकुल स्वस्थ्य रह सकता है और विकास के परिचायक हो सकते हैं।

जिला प्रमुख ने राज्य सरकार के चलाये जा रहे विभिन्न फ्लेगशिप कार्यक्रमों का लाभ सीधे तौर पर जरूरतमंद ग्रामीणों तक पहुंचाने पर जोर देते हुए कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को हमेशा अपने आंगनवाड़ी केन्द्र को समय पर खोलकर निर्धारित गतिविधियां चलानी चाहिए जिससे इन केन्द्रों पर आने वाले छोटे-छोटे बच्चों और गर्भवती व धात्राी महिलाओं को पौष्टिक आहार मिल सकें और समय-समय पर उनके स्वास्थ्य की पूरी जांच की जा सकें। उन्होंने कहा कि समय पर आंगनवाड़ी केन्द्र नही खुलने से जहां विभाग की छवि खराब होती है वही उस क्षेत्रा के बच्चों व महिलाओं की उपेक्षा हर क्षेत्रा में होनी लगती है। सही मायने में बच्चों व महिलाओं के माध्यम से ही खुशहाली का संदेश ग्राम के हर क्षेत्रा में पहंुच सकता है। प्रशिक्षण शिविर को जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सी.आर.मीना, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री किशोर कुमार तथा सूचना एवं जन सम्पर्क के उप निदेशक श्री प्यारे मोहन त्रिपाठी ने भी सम्बोधित किया।

नाबार्ड के सहायक महाप्रबन्धक श्री सुधीर शर्मा ने बताया कि राजस्थान में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में चलाये जा रहे महिला स्वयं सहायता समूह कार्यक्रम को और अधिक क्रियाशील बनाने के लिए इस प्रशिक्षण शिविर का आयोजित किया गया है जिसमें इन समूहों को बैंक से ऋण लेने, उनकी उद्यम कौशल को विकसित और आजिविका को प्रोन्नत करने पर विस्तार से जानकारी दी जा रही है। महिला अधिकारिता विभाग द्वारा 2 लाख 30 हजार समूहों का गठन किया गया है जिनमें से एक लाख 86 हजार समूहों को 538 करोड़ रूपये का बैंक ऋण उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य के 15 जिलों अजमेर, सिरोही, उदयपुर, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, सीकर, सवाईमाधोपुर, नागौर, पाली, जयपुर, प्रतापगढ़, चूरू, झूझंनू व चितौड़गढ़ में नाबार्ड द्वारा इन्सेन्टीव तदत 25 हजार नये महिला स्वयं सहायता समूह का गठन कर बैंक एवं कै्रडिट लीकेंज कार्यक्रम से जोड़ने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के उप निदेशक डॉ. ललित कुमार दाधिच ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तार जानकारी देते हुए दो दिनों में की जाने वाली चर्चा की जानकारी दी। उन्होंने जिला प्रमुख सहित आये हुए अतिथियों का स्वागत किया।

1 thought on “मछली पालन को उद्योग के रूप में विकसित कर आय बढायें -जिला प्रमुख”

  1. में मछली पालना कर ना चाहता हु आप मुझे अच्छी राय दे 9799131760

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