युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने में स्मारकों का अहम भूमिका-टिबरेवाल

16-06-2013_Daharsen_2013 (1)16-06-2013_Daharsen_2013अजमेर। राजस्थान के पूर्व कार्यवाहक राज्यपाल एवं पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधिपति एन. एल. टिबरेवाल ने कहा है कि युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने में स्मारकों की अहम भूमिका है। वे रविवार को यहां हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार स्थित महाराजा दाहरसेन स्मारक पर सिंधुपति महाराज दाहरसेन के 1301वें बलिदान दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महाराजा दाहरसेन का स्मारक पर्यटन के साथ चिंतन का भी स्थान है। इस स्मारक से युवा पीढ़ी को हमारे पूर्वजों की ओर से किए गए बलिदान की जानकारी मिलती है।
उन्होंने कहा कि जब तक किसी भी कार्य को तपस्या के रूप में नहीं लेते, तब तक कोई संभव नहीं होता। उन्होंने सिन्धी जाति के पुरूषार्थी होने का कारण बताया कि सिन्ध प्रदेश के लोगों ने अनेक आक्रमणों को सहा है। उनकी जागृति व प्रेरणा से जीवटपूर्ण समाज का निर्माण हुआ है। उन्होंने युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए प्रचीन साहित्य व सभ्यता को जीवित रखने पर जोर दिया।
समारोह के विशिष्ट अतिथि पदमश्री डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल ने कहा कि जो लोग अपनी अस्मिता को भूलते हैं, वे जल्दी गुलाम हो जाते हैं। सिंध वो प्रदेश है, जिसमें भारत मां की रक्षा के लिए सर्वाधिक घाव झेले हैं क्योंकि यहीं से दुश्मनों ने आक्रमण किये थे। उन्होंने बताया कि दहारसेन का अर्थ है अपनी अग्नि से शत्रु को नष्ट करने वाला। उन्होंने देश में पिंवणी सांप की तरह फैलने वाले सांस्कृतिक दोष की ओर सबका ध्यान आकृषित करवाया।
इस मौके पर हरि सेवाधाम, भीलवाड़ा के महन्त, जो कि जकार्ता से इस कार्यक्रम के लिए आये थे, ने सिन्धी साधु समाज के द्वारा सिन्धु तीर्थ विकसित करने के लिए पूर्ण सहयोग की बात कही। भारतीय सिंधु सभा के मार्गदर्शक कैलाश जी ने बताया गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर हमें कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। सदैव स्वाध्याय द्वारा अपने आचरण में सुधार करना चाहिए। हमारा लक्ष्य भारत माता के गौरव गाान को विश्व में फैलाना है तथा अपने गौरवशाली इतिहास को नई पीढ़ी को देना है। सिंधु सभा के प्रदेशाध्यक्ष लेखराज माधू ने ने कहा कि हमे सिन्धी कहने पर गर्व होना चाहिए।
अपने स्वागत भाषण में प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कहा कि दुनिया में जब सभ्यता नहीं थी तब सिन्ध में एक विकसित सभ्यता थी। वेदों की ऋचा का उच्चारण सिन्धु नदी पर किया गया।उन्होंने कहा कि भारत में जब सिन्ध होगा तभी भारत विश्व में सिरमोर होगा। उन्होंने कहा कि इस स्मारक पर जितनी भी अच्छाइयां हैं, वो सब आप लोगों की है और कमियां मेरी हैं।
समारोह में महाराजा दहारसेन के बलिदान दिवस पर प्रथम बार घोषित 51 हजार का पुरुस्कार आदिपुर, कच्छ के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ सिंधोलोजी के डायरेक्टर लखमी खिलनाणी को दिया गया। उनका साफा पहना कर शॉल व श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारतीय सिन्धु विद्यपीठ एक विश्व विद्यालय की तरह कार्य कर रही है, जो सिन्धी जाति की पहचान को बचाये रखने का अनूठा कार्य कर रही है। उन्होंने बताया जब एक बून्द सागर में मिलती है, तो वह भी सागर बन जाती है। इस संस्था के सारे ट्रस्टी अवैतनिक रूप से कार्य कर रहे हैं। इस बात का मूल्यांकन आंखों से देखकर ही किया जा सकता है। उन्होंने झूलेलाल धाम तीर्थधाम की तरह नारायण सरोवर को विकसित करने की योजना के बारे में बताया, जिसमें 72 एकड़ जमीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दी गई है। लगभग 2 करोड़ रुपए एक महिने के अन्दर मोदी सरकार को समाज द्वारा दिये जायेंगे। उन्होंने अपना भाषण शेख अयाज की वीर रस की कविता के साथ किया।
प्रारंभ में शहनाई वादन एवं बग्गी पर बैठा कर मुख्य अतिथि का स्वागत किया गया।
समारोह में महाराज दाहरसेन पर सुरेश हिंदुस्तानी की टीम ने नाटक का मंचन किया एवं राष्ट्र रक्षा के लिए देश भर से आये युवाओं द्वारा संकल्प लिया गया।
कार्यक्रम समन्व्यक,
मो. 94131 35031

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