बाजारों में मिठाई, कपडे़ और पुजन सामग्री की बिक्री

dipawali01अजमेर। दीपावली का पर्व मनाने की अनेक मान्यताएं चली आ रही है। धर्मग्रंथो के मुताबिक कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान राम 14 साल का वनवास पूरा कर लंका पर विजय पाने के बाद अयोध्या लौटे थे। उस वक्त अयोध्या को रंगीन दीपो की रोशनी से सजाकर भगवान राम का राज्याभिषेक कराया गया। तब से दीपावली का उत्सव मनाया जाता हैं। इसी तरह सम्राट विक्रमादित्य के राजतिलक के दिन से विक्रमी संवत् की शुरूआत होती है। यह दिन नववर्ष के रूप में मनाये जाने की प्रथा हिन्दू धर्म में प्रचलित है। इस दिन व्यापारी अपने व्यापार के पुराने बहीखाते बदलकर नये बहीखाते लाभ के चैघडिये के साथ विधि विधान से शुरू करते है। वहीं भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी जैन धर्मावलंबी उत्सव के रूप में मनाते है। इसी दिन आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण भी हुआ था। धर्मग्रंथो के मुताबिक इसी दिन समुद्र मंथन के समय क्षीर सागर से मां लक्ष्मी प्रकट हुई और भगवान विष्णु को स्वीकार किया। भगवान विष्णु ने राजा बली को पाताल लोक का इंद्र बनाया तब इंद्र देवता ने स्वर्ग का सिहांसन बचाने के उत्साह मंे दीपावली मनाई। यही परम्परा आज भी चली आ रही है।
दीपो का पर्व दिपावली रविवार को बडी दिवाली के नाम से मनाया जाएगा। इससे पूर्व छोटी दिवाली पर शनिवार को बाजारो में जमकर खरीददारी हुई। शनिवार को महालक्ष्मी के पूजन की सामग्री खील, बताशे, मिट्टी के खिलौने, लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां, माला, दिये, गन्ने, और पाने सहित पटाख्ेा, इलेक्ट्रीक लडीयां, सिक्के, ड्राई फूड और मिठाईयो की खरीददारी जमकर की गयी। आईये चलते है छोटी दिपावली पर शहर कें बाजारो में हुई खरीदारी का नज़ारा देखने।

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